आत्महत्या करना भगवान की मर्जी या अपराध? यहां जानिए इसके पीछे छुपा कारण
Date: Jan 03, 2025
By: Nitika Srivastava, Bharatraftar
क्या कहते हैं शास्त्र
मनुष्य का जन्म उसके पूर्व जन्म में किए गए कर्मों का फल भोगने के लिए होता है. जिसे वो भोगता भी है.
मृत्यु का समय निश्चित
जैसे ही किसी बच्चे का जन्म होता है, वैसे ही उसकी मृत्यु का समय भी तय हो जाता है. जो निश्चित होती है.
कर्मों से बचना मुश्किल
अगर कोई मनुष्य आत्महत्या कर लेता है. तो वो अपने बुरे कर्मों से फिर भी नहीं बच पाता. उसे अपने कर्मों का हिसाब देना ही पड़ता है.
कहीं स्थान नहीं
जो भी मनुष्य आत्महत्या करता है, उसे ना तो स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है, और ना ही नर्क लोक में.
मिलती है प्रेत योनि
आत्महत्या करने वाले मनुष्य को प्रेत योनि में तब तक भटकना पड़ता है, जब तक उसका समय पूरा नहीं हो जाता.
नहीं होता पानी नसीब
जो भी मनुष्य आत्महत्या करता है, उसके बाद का उसका जीवन काफी कठिन होता है. उसे इतना ज्यादा कष्ट मिलता है कि, पानी तक नसीब नहीं होता.
होता है महापाप
मनुष्य के जन्म और मृत्यु पर सिर्फ ईश्वर का ही अधिकार है. जिस वजह से आत्महत्या अपराध नहीं बल्कि महापाप है. क्योंकि इसमें ईश्वर की कोई मर्जी नहीं होती.
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