राजघराने की शाही परवरिश में भी सिर्फ 50 रुपए पॉकेट मनी! जानिए वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत की अनकही कहानी
राजघराने से ताल्लुक रखने वाली वसुंधरा राजे ने अपने बेटे को बचपन में सिर्फ ₹50 पॉकेट मनी देकर सिखाया जीवन का बड़ा सबक। जानिए उनके अनुशासन की अनसुनी कहानी।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजनीति में अनुशासन और रणनीति के लिए जाना जाता है। लेकिन उनके जीवन का एक पहलू ऐसा भी है जो उनके पारिवारिक मूल्यों और पालन-पोषण के तौर-तरीकों को उजागर करता है। शाही खानदान से होने के बावजूद उन्होंने अपने इकलौते बेटे दुष्यंत सिंह को बचपन में सिर्फ ₹50 की पॉकेट मनी दी और उस मामूली रकम के पीछे छिपी सोच ने दुष्यंत को ज़मीन से जोड़े रखा।
बीकानेर में एक कार्यक्रम के दौरान वसुंधरा राजे ने यह किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि जब दुष्यंत बचपन में दोस्तों के साथ बाजार जाते थे, तो वे उनसे ज़्यादा पैसे की मांग करते। लेकिन वसुंधरा सिर्फ ₹50 देती थीं। दोस्तों के ताने सुनने के बाद भी दुष्यंत को मां से यही जवाब मिलता – "उतने ही पैसों में अपनी ज़रूरत तय करो। सीखो कि प्राथमिकता क्या है।"
वसुंधरा राजे, जो ग्वालियर राजघराने से हैं, खुद धन-संपन्न परिवार से आती हैं। धौलपुर के महाराजा हेमंत सिंह से उनका विवाह हुआ, लेकिन बाद में तलाक हो गया। दुष्यंत उनके इकलौते बेटे हैं, जो आज झालावाड़-बारां से लोकसभा सांसद हैं। अपनी मां की सीख का असर यह है कि दुष्यंत हमेशा विवादों से दूर रहते हैं और राजनीति में शांतिपूर्ण छवि के लिए जाने जाते हैं।
राजे का यह मानना है कि बच्चों को अनुशासन और आत्मनिर्भरता का पाठ घर से ही मिलना चाहिए। वे आज भी दुष्यंत से यही कहती हैं कि जिस तरह से उन्हें सिखाया गया, वही वह अपने बच्चों को भी सिखाएं।
दुष्यंत सिंह की शिक्षा भी खास रही। उन्होंने दून स्कूल, सेंट स्टीफेंस कॉलेज और स्विट्ज़रलैंड के नौक्शेटेल से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। 2000 में उन्होंने निहारिका से विवाह किया, जिनसे उनके दो बच्चे हैं।
शाही वैभव और सत्ता की ऊंचाइयों पर रहते हुए भी जीवन में अनुशासन और सादगी कैसे बनाए रखी जा सकती है, यह कहानी उसी का जीवंत उदाहरण है।