झालावाड़ से दिल्ली तक दुष्यंत सिंह का सफर, क्या बढ़ेगी राजनीतिक पकड़? जानें
वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत सिंह को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। बारां-झालावाड़ से सांसद दुष्यंत अब क्रिकेट के जरिए अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। जानें पूरी कहानी।

जयपुर। वसुंधरा राजे का नाम राजस्थान का बच्चा-बच्चा जानता है। जनता के दिलों में राज करने और राजनीति की हवा बदलना महारानी अच्छे से जानती हैं। हालांकि अक्सर सियासी पंडितों के मन में एक सवाल आता है, वसुंधरा राजे की राजनीतिक विरासत कौन संभालेंगा। उनके बेटे दुष्यंत सिंह राजनीति में एक्टिव हैं। हालांकि वह लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं। कई एक्स्पर्ट्स मानते हैं, महारानी बेटे को केंद्रीय राजनीति में स्थापित करना चाहती है। ऐसे में इसके क्या मायने हैं। ये जानते हैं।
मां के नक्शेकदम पर दुष्यंत
पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने अपने बेटे दुष्यंत सिंह को लोकसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट दिलवाया था। वह सबसे सेफ सीट बारां-झालवाड़ से चुनावी मैदान में उतरें। महारानी का प्रचार और जनता का प्यार काम कर गया, दुष्यंत को जीत मिली। इससे पहले भी 2004 से लेकर अभी तक दुष्यंत इस सीट से सांसद हैं। बीते चुनावी प्रचार के दौरान राजे ने कहा था, एक वक्त था जब दुष्यंत को सियासी चुनौतियां का सामना करना पड़ा था लेकिन झालावाड़ की जनता हमेशा उनके साथ खड़ी रही।
बेटे का राजनीति में स्थापित करना चाहती हैं राजे
बता दें, वसुंधरा राजे बेटे दुष्यंत के लिए राजनीतिक जमीन मजबूत करना चाहती हैं। हाल में दुष्यंत सिंह को झालावाड़ जिले के भारत क्रिकेट क्लब का अध्यक्ष चुना गया है। माना जा रहा है कि यह कदम उन्हें राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में लाने की तैयारी का हिस्सा है। अगर वह RCA में आते हैं, तो आगे चलकर वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) तक भी पहुंच सकते हैं। इससे उनकी राजनीतिक पकड़ भी मजबूत हो सकती है। खैर, जिस तरह वसुंधरा राजे बेटे के लिए अवसर तलाश रही हैं उससे एक बात तो साफ है, वह बेटे को सियासत में और भी मजबूत करना चाहती हैं। ऐसे में आने वाले सालों में देखना दिलचस्प होगा, क्यां दुष्यंत वसुंधरा राजे की जगह ले पाते हैं और राजस्थान की राजनीति में अपनी पहचान छोड़ पाते हैं।