BJP की अंदरूनी सियासत में अब भी ‘वसुंधरा फैक्टर’ ज़िंदा है, भजनलाल ने भी दिया संकेत
Vasundhra Raje Bhajanlal Sharma Story: राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे और भजनलाल शर्मा के संबंधों की अनसुनी कहानी, जहां मंच की मुस्कानें और मंच के पीछे की चुप्पियां एक नई राजनीति की कहानी कहती हैं।

राजनीति में अक्सर विरोधियों के बीच खींचतान की खबरें सुर्खियां बनती हैं, लेकिन कुछ किस्से ऐसे भी होते हैं जो दिखाते हैं कि सत्ता के अलग रास्ते भी कभी-कभी समान मंज़िलों पर आ मिलते हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प और शायद अब तक अनकहा किस्सा है राजस्थान की दो अहम राजनीतिक शख्सियतों वसुंधरा राजे और भजनलाल शर्मा के बीच का, जो एक बार एक मंच पर तो आए, लेकिन दोनों की आंखों में कई अधूरी बातें भी तैर रही थीं।
एक मंच, दो धारणाएं
साल था 2023। जगह थी करौली जिले का एक गांव, जहां एक बड़ी जन कल्याण सभा आयोजित की गई थी। उस वक्त प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी थी। मंच पर भाजपा के कई बड़े नेता थे, लेकिन सबकी निगाहें टिकी थीं दो चेहरों पर एक ओर थीं वसुंधरा राजे, जिनकी गिनती राजस्थान की सबसे अनुभवी और लोकप्रिय नेताओं में होती है, वहीं दूसरी ओर थे भजनलाल शर्मा, जो पार्टी में एक नई ऊर्जा और दिल्ली से मिला निर्देश लेकर आए थे।
मंच से नीचे की कहानी
मंच पर दोनों ने मुस्कुराते हुए एक-दूसरे का स्वागत किया, लेकिन सियासत समझने वाले जानते थे कि ये मुस्कान जितनी बड़ी दिख रही थी, उतनी ही खामोशियां भी उसके पीछे थीं। वसुंधरा के भाषण में "अनुभव, सम्मान और जमीनी जुड़ाव" की बात थी, वहीं भजनलाल शर्मा ने "नए नेतृत्व, नई सोच और बदलाव" को अपना संदेश बनाया।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद एक पत्रकार ने वसुंधरा राजे से हल्के से पूछ लिया, “क्या आपको लगता है कि भजनलाल जी के साथ आपकी सोच मेल खाती है?” वसुंधरा ने मुस्कुराते हुए कहा,
"सिर्फ सोच नहीं, हमारी ज़मीन भी एक है। फर्क बस यह है कि कोई जमीं से ऊपर देखता है, और कोई नीचे।"
इसी सवाल को लेकर भजनलाल से पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया,
"वसुंधरा जी का अनुभव हम सबका मार्गदर्शन करता है, लेकिन वक्त के साथ नेतृत्व की परिभाषाएं भी बदलती हैं।"
टकराव नहीं, तालमेल की राजनीति?
इस पूरे घटनाक्रम ने भाजपा के अंदर कई नई चर्चाओं को जन्म दे दिया। क्या वसुंधरा की ‘राजनीतिक विरासत’ को पार्टी धीरे-धीरे नए नेतृत्व में बदलना चाहती है? या ये सिर्फ दो धाराओं की वह लहर है, जो मिलकर ही प्रदेश को आगे ले जा सकती है?
दिलचस्प बात ये है कि इसी कार्यक्रम के बाद कुछ दिनों में भजनलाल शर्मा को राजस्थान भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया और ये वही समय था जब वसुंधरा राजे पार्टी से दूरी बनाकर जन आशीर्वाद यात्राओं में जुट गई थीं।
एक नई शुरुआत की उम्मीद?
राजनीति में विरोधाभास आम बात है, लेकिन जब अनुभवी और ऊर्जावान नेतृत्व साथ चले, तो इतिहास गवाह है कि राज्य और राष्ट्र को नया आयाम मिलता है। वसुंधरा और भजनलाल की जोड़ी शायद ऐसा ही एक उदाहरण बन सकती है अगर दोनों एक-दूसरे की ताकत को समझें, न कि छांव को काटने की कोशिश करें।