Rajasthan: इंदिरा गांधी का वो एक फोन कॉल जिसने बदल दी राजस्थान की राजनीति, पढ़ें ये अनसुना किस्सा..
यह कहानी है ऐस नेता की, जो बिना विधायकों के समर्थन के राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। जानिए कैसे इंदिरा गांधी के एक फ़ोन कॉल ने गिरधारीलाल व्यास के सपनों को तोड़कर उन्हें सत्ता तक पहुंचाया। राजस्थान की राजनीति का एक अनसुना किस्सा।

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में ऐसे कई किस्से हुए जिसे आज भी याद किया जाता है। सत्ता संभालने से सत्ता खोने तक मुख्यमंत्री से लेकर विधायकों और हजारों नेताओं के किस्से आप जानते होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसा नेता की कहानी बताएंगे, जिनके पास न तो विधायकों का समर्थन था और न ही कोई रसूख। बावजूद इसके वह प्रदेश के सीएम बनें। दरअसल, हम बात कर रहे हैं शिवचरण माथुर की। जिन्होंने 70 विधायकों संग मुख्यमंत्री के पद पर बैठने का ख्वाब देख रहे तत्कालीन पीसीसी चीफ गिरधारीलाल व्यास के सपनों को चकनाचूर कर दिया था। तो चलिए जानते हैं वो अनकहा किस्सा।
बिना समर्थन सीएम कैसे बनें शिवचरण माथुर
बात है, 11 जुलाई, 1981 की। जब पृथ्वीराज रोड स्थित पुराने राजस्थान हाउस के भवन में शिवचरण माथुर, हीरालाल देवपुरा जैसे बड़े नेता डेरा डाले हुए थे। इन नेता का जमावड़ा केवल इसलिए था, वह मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया को हटाना चाहते थे। उसी वक्त राजस्थान हाउस रिसेप्शन में ज्यादतर फोनों की घंटी बजनी लगीं। सब इधर-उधर देख रहे थे। तभी अचानक से किसी ने शिवचरण माथुर को अंदर भेजने के लिए कहा। ये कॉल किसी और की नहीं बल्कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पर्सनल फिजीशियन डॉ. केपी माथुर की थी। उन्होंने कॉल पर माथुर से बात करते हुए कहा, आपको जयपुर तलब किया गया है।
एक फोन कॉल से बदली किस्मत
डॉ. केपी माथुर बोले ने माथुर से इंतजार करने को कहा और बोले मैं आपके लिए एक संदेशन लेकर आ रहा हूं। अब बस मुझे पृथ्वीराज रोड पर ही दो रेडलाइट के बाद तीसरी रेडलाइट पर साइड खड़े होकर मिलिए। शिवचरण माथुर दुविधा में थे। उन्होंने फटाफट सामान पैक किया और वह निकल पड़े। वह फोन पर बताई हुए जगह पर जैसे-तैसे पहुंच गए। वहां पर कुछ लोगों पहले से उनका इंतजार कर रहे थे। जहां उन्हें जयपुर जाने के लिए कहा गया, साथ ही बताया गया , 3 दिन बाद आप राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए जाने वाले हैं। जगन्नाथ पहाड़िया इस्तीफा देंगे। इंदिरा गांधी ने ये शर्त रखी कि वह ये अपनी परछाई से भी नहीं बताएंगे। वरना फैसला बदलने में वक्त नहीं लगेगा। हुआ भी ऐसा। इंदिरा गांधी की शर्त शिवचरण माथुर ने मानी और वह सीएम बनें।