Rajasthan: पायलट बनाम गहलोत,कांग्रेस में अंदरूनी कलह फिर तेज? इस Video ने बढ़ाई हलचल !
राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट का बढ़ता कद, अशोक गहलोत से संभावित टकराव, कांग्रेस में संभावित नेतृत्व परिवर्तन और 2028 के विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका पर राजनीतिक एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं। पढ़ें यहां।
राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत के बाद अगर किसी नेता का नाम लिया जाता है तो वह सचिन पायलट हैं। मौजूदा वक्त में वह मात्र कांग्रेस विधायक हो लेकिन उनकी फैन-फॉलोइंग से बड़े-बड़े नेताओं के होश फाख्ता हो जाता है। इस वक्त पायलट पर राजनीतिक पंडितों की निगाहें टिकी हैं। कहा तो ये भी जा रहा है, 2028 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सारा दारोमदार पालयट को सौंपेंगी। ये चर्चाएं इसलिए भी तेज क्योंकि बीते दिनों दिल्ली विधानसभा स्टार प्रचारकों की लिस्ट जाीरी की गई है। इसमें पायलट का नाम भी शामिल है लेकिन खास बात रही लेटर में आलकमान नहीं बल्कि पायलट के साइन थे। ऐसे में उम्मीदे हैं आने वाले सालों में शीर्ष नेतृत्व पायलट को अहम जिम्मेदारी सौपेंगा। यहां तक तो ठीक था लेकिन हाल में अशोक गहलोत के समर्थकों ने ऐसा वीडियो जारी किया, जिसने इस सुगबुगाहट को और भी हवा दे दी है।
गहलोत समर्थकों का पायलट को संदेश !
दरअसल, इस वक्त सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे गहलोत समर्थकों द्वारा शेयर किया गया है। वीडियो के बोल हैं लौटेंगे उसी अंदाज में। किताबों में धूल लग जाने से कहानियां खत्म नहीं होती। ये वीडियो ऐसे समय पर आया है, जब गहलोत राजनीति में उतना सक्रिय नहीं है। जितना पहले हुआ करते थे। ऐसे में इस वीडियो के कई मायने भी लगाएं जा रहे हैं। गौरतलब है, सरकार में रहते हुए पायलट कई बार गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। इतना ही नहीं दोनों की बयानबाजी भी जगजाहिर है।
पायलट के बढ़ते कद से नाराज गहलोत समर्थक !
बैकफुट पर रहने वाले पायलट इन दिनों कुछ ज्यादा एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। राजस्थान में जनता के साथ वक्त बिताना तो दिल्ली चुनाव के लिए तैयार रहना। वह इस वक्त कांग्रेस हाईकमान के साथ अक्सर नजर आते हैं। ऐसे में कहना बिल्कुल अलग नहीं होगा, वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश में हैं। वहीं, 2025 में राजस्थान कांग्रेस में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर डोटासरा हैं लेकिन उम्मीद है इस बार नये अध्यक्ष की नियुक्ति की जा सकती है। ऐसे में पायलट के लिए ये कुर्सी अहम है। 2018 में जब कमान उनके पास थी, तो सरकार कांग्रेस की आई थी, हालांकि वह सीएम नहीं बन सके थे। ऐसे में लोगों में पायलट के प्रति प्यार और चुनावों को देखते आलाकमान उन्हें नजर अंदाज करने का रिस्क नहीं उठा सकते। जबकि लोकसभा चुनावों में अशोक गहलोत के बेटे वैभव को शिकस्त का सामन करना पड़ा था। खैर ये सब मात्र कयास है लेकिन आने वाले भविष्य में पायलट और भी ज्यादा चर्चा में रहने वाले हैं।