राजस्थान की राजनीति में भूचाल – वसुंधरा को गहलोत की खुली चुनौती! जानें समीकरण
राजस्थान में पानी के संकट पर वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के बीच तकरार। झालावाड़ में पानी की कमी को लेकर राजे ने अफसरों को फटकारा, जबकि गहलोत ने पूरे प्रदेश की बात करने की सलाह दी।

जयपुर। राजस्थान के सियासी दंगल में इन दिनों जंग दो पूर्व सीएम के बीच छिड़ी हुई है। हाल में पेयजल के मु्द्दे पर अफसरों को फटकार लगाने वाली वसुंधरा राजे के एक ट्वीट ने दिल्ली तक सनसनी मचा दी है। यहां तक कई राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं, उनका अचानक से सक्रिय होना पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए हलचल लेकर आया है। महारानी के बयान के बाद चिंगारी उठी ही थी कि अब पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए राजे को नसीहत दे डाली और कहा पानी की समस्या केवल झालावाड़ तक सीमित नहीं है। राजे मुख्यमंत्री रह चुकी हैं उन्हें बात पूरे प्रदेश की करनी चाहिए थी।
वसुंधरा राजे को गहलोत की नसीहत
मीडिया ने जब वसुंधरा राजे पर अशोक गहलोत से सवाल किया तो उन्होंन कहा, पानी की समस्या केवल झालरवाड़ तक सीमित नहीं है। ये दिकक्त पूरे प्रदेश की है। तो बात भी पूरे राज्य की होनी चाहिए। वसुंधरा राजे तो मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्हें तो बड़ा दिल दिखाना चाहिए। कहा, कांग्रेस सरकार में थी। हमने ही पूर्व सीएम की पेय जल से जुड़ी योजनाओं को बिना भेदभाव के जनता तक पहुंचाने का काम किया था। ऐसे में पूर्व सीएम होने के नाते वसुंधरा राजे का कर्तव्य है, वह पूरे राजस्थान की बात करें। अब अगले 5 सालों तक कुछ होगा या भी नहीं। ये कोई जानता है। इस दौरान वह राजे से प्रदेश की भलाई की अपील भी करते नजर आए।
जनता की समस्या पर राजे के तल्ख तेवर
दरअसल, बीते दिनों जब वसुंधरा राजे झालरवाड़ पहुंची थीं, तो लोगों ने उनसे पेय जल की समस्या से जुड़ी कई शिकायतें की थी। जिस पर अफसरों की महारानी ने क्लास लगा दी। उन्होंने लगातार कई ट्वीट करते हुए कहा- क्या जनता को प्यास नहीं लगती? सिर्फ़ आप अफ़सरों को ही लगती है। गर्मी में पेयजल संकट के कारण जनता त्रस्त है।अफ़सर तृप्त है। पानी कागजों में नहीं, लोगों के होठों तक पहुँचे। अफ़सर सो रहें है,लोग रो रहें हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूँगी। रायपुर क़स्बे के ग्रामीणों की पेयजल संकट की शिकायत पर जलजीवन मिशन और जलदाय विभाग के अफसरों को त्वरित समाधान के सख्त निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री जी ने 42 हज़ार करोड़ जल जीवन मिशन में दियें हैं। पाई-पाई का हिसाब दो कि झालावाड़ के हिस्से की राशि का आपने क्या किया? पेयजल संकट निवारण के लिए हमारी सरकार तो पैसा दे रही है, लेकिन अफसर योजनाओं की सही क्रियान्विति नहीं कर रहे। इसलिए राजस्थान के लोग प्यास से व्याकुल है। यह तो अप्रेल का हाल है। जून-जुलाई में क्या होगा? अधीक्षण अभियंता सहित उपस्थित कोई भी अधिकारी मुझे संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। लोगों के धैर्य की परीक्षा मत लीजिए। झालावाड़ में ऐसा हरगिज नहीं चलेगा।
राजे के ट्वीट का असर कुछ ऐसा ही राज्य सरकार से केंद्र ने तथ्यात्मक रिपोर्ट मांग ली। वहीं, एक्शन में भजनलाल शर्मा ने प्रदेशभर में अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दीं। खैर, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पोस्ट के बाद पानी पर मचे बवाल पर अशोक गहलोत की नसीहत ने विपक्ष के लिए नया मोर्चा खोल दिया है। आरपीसी और इपीकेसी से जुड़ी जानकारी गहलोत सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। राजे, जिनके तेवरों को लेकर नए सरकार के गठन से अभी तक तमाम तरह की बातें की जा रही है। देखना होगा वह कैसे पलटवार करती हैं।