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पायलट नहीं टीकाराम जूली आलाकमान की पहली पसंद ! 2028 में करेंगे बड़ा खेला? जानें यहां

राजस्थान कांग्रेस में टीकाराम जूली का बढ़ता कद और सचिन पायलट के साथ उनकी संभावित प्रतिस्पर्धा के बीच राजस्थान की राजनीति में नए मोड़ आ रहे हैं।

पायलट नहीं टीकाराम जूली आलाकमान की पहली पसंद ! 2028 में करेंगे बड़ा खेला? जानें यहां

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस की सियासी फिजा बदली-बदली नजर आ रही है। एक तरफ पायलट को 2028 के चुनाव में मुख्यमंत्री बनाने की मांग की जा रही है। तो दूसरी तरफ डोटासरा, टीकाराम जूली जैसे सरीखे नेता भी मैदान में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। चुनावों में भले अभी कई साल बाकी हो लेकिन सच्चाई तो ये हैं कांग्रेस नेताओं ने अभी से बिसात बिछाना शुरू कर दी है। यही कारण है, कहा जा रहा है अगर पायलट को कोई चुनौती देगा तो वो टीकाराम जूली होंगे। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है ये हम आपको बताएंगे। 

हर किसी के जुबां पर जूली का नाम 

हाल ही में रामनवमी के मौके पर टीकाराम जूली मंदिर पहुंचे थे। हालांकि ये बात बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा को पसंद नहीं आई और उन्होंने गंगाजल से मंदिर में शुद्धिकरण दिया। कांग्रेस के बड़े दलित नेता के साथ इस तरह का व्यहवार पार्टी को बीजेपी को दलित विरोधी मुद्दे पर घेरने का बड़ा चांस दे गया। यही वजह है, अहमदाबाद के कांग्रेस अधिवेशन से लेकर हर राज्य के कांग्रेस नेता जूली का नाम ले रहे हैं। कहा तो ये भी जा रहा है, 2018 में कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पहला नाम टीकाराम जूली का लिया था। वह दलित समाज से आते हैं। राजस्थान में कांग्रेस का वोट बैंक भी दलित समाज ही रहा है। कहा तो ये भी जाता है, जूली के ऊपर गहलोत का हाथ है। वह पूर्व सीएम के खासमखास नेताओं में शामिल हैं। 

दिन पर दिन बढ़ता जा रहा जूली कद 

जब से टीकाराम जूली प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाल रहे हैं। तब से उनका पॉलिटिकल ग्राफ बढ़ता जा रहा है। विधानसभा सत्र में डोटासरा के बयान पर सदन में खड़े होकर जूली ने माफी मांगी थी। राजस्थान की राजनीति लंबे वक्त तक गहलोत बनाम पायलट से प्रभावित रही है। पार्टी इन दोनों नेताओं के अलावा अन्य नेताओं की तलाश में हैं जो राजस्थान में कांग्रेस का नेतृत्व कर सकें। बीते ढेड़ साल में जिस तरह से हर मोर्चे पर मुखर होकर टीकाराम जूली ने नेता प्रतिपक्ष होने का परिचय दिया है, उससे इस बात से तो इन्कार नहीं किया जा सकता। आगामी चुनाव में शीर्ष नेतृत्व उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी सौंप सकता है। हालांकि ये मात्र कयास है, देखना होगा सियासत में उनका बढ़ता कद 2028 तक क्या मोड़ लेता है।