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Rajasthan: कांग्रेस के इस नेता से वसुंधरा राजे की पुरानी अदावत, मां की हार से शुरू हुई बात, अब तो हैं ये हाल !

राजस्थान की सियासत में सचिन पायलट और वसुंधरा राजे की अदावत की कहानी। जानें कैसे दोनों नेताओं के बीच 20 साल पुरानी दुश्मनी आज भी राजस्थान की राजनीति को प्रभावित करती है।

Rajasthan: कांग्रेस के इस नेता से वसुंधरा राजे की पुरानी अदावत, मां की हार से शुरू हुई बात, अब तो हैं ये हाल !

राजस्थान की सियासत में ऐसे कई नेता हैं। जिनकी दुश्मनी आज भी याद की जाती है लेकिन अगर कहा जाए एक अदावत ऐसी भी है जो कभी नहीं भूली जाएगी तो आप क्या कहेंगे। दरअसल, हम बात कर रहे हैं राजस्थान बीजेपी की शीर्ष नेता वसुंधरा राजे और राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट की। इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। 20 साल पहले दोनों के बीच ऐसी दुश्मनी शुरू हुई जो आज भी एक दूसरे को कहीं ना कहीं टीस देती है। 

सचिन पायलट और वसुंधरा राजे की सियासी अदावत 

2003 में राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए तैयार था। कांग्रेस सत्ता पर काबिज थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे थे। उस वक्त धीरे-धीरे एक नया चेहरा प्रदेश में उदय हो रहा था। यह कोई और नहीं बल्कि वसुंधरा राजे थीं। भैरव सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद कमान राजे को मिली। 2003 के चुनाव में महारानी ने झालावाड़ के झालरपाटन सीट से ताल ठोकी जबकि उनके सामने चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने रमा पायलट को प्रत्याशी बनाया। बता दें, रमा सचिन पायलट की मां हैं। बस यही से सियासी अदावत की शुरुआत हुई। 

महारानी के आगे पायलट परिवार का जादू फीका

झालरपाटन हॉट सीट बन चुकी थी। वसुंधरा राजे ने पायलट परिवार का गुरूर तोड़ते हुए यहां से जीत हासिल की और मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हुईं। यह अदावत यहां खत्म नहीं हुई। अब मैदान में राजे के सामने रमा नहीं बल्कि बेटे सचिन पायलट थे। जिन्होंने दौंसा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बनें। फिर वह 2009 में अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 

सचिन पायलट ने वसुंधरा राज्य से लिया हर का बदला 

2003 में मिली हार सचिन पायलट अभी भूले नहीं थे। धीरे-धीरे 10 साल बीत गए और 2013 आ गया। पूरे देश में मोदी लहर थी। राजस्थान में वसुंधरा राजे जीती तो पूरे देश में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया। सचिन पायलट समझ चुके थे। बीजेपी को हराना इतना आसान नहीं होगा। इसलिए उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव तक राजस्थान में जमकर पसीना बहाया और सड़क से लेकर सदन तक राज्य सरकार को जमकर घेरा। पूर्वी राजस्थान में पायलट ने सभी जिलों का दौरा किया और लोगों को अपने साथ जोड़ा। नतीजा रहा 2018 के चुनाव में बीजेपी 75 सीटों पर आ गई जिसे 2012 में बहुमत हासिल किया था और पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस विजय बनीं।