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Rajasthan Politics: राजस्थान में सियासी तूफान, नरेश मीणा की रिहाई के लिए महापंचायत, सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम

Rajasthan Politics: महापंचायत में सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी गई कि अगर सरकार ने बेगुनाहों की रिहाई और पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा नहीं की तो अगला महापड़ाव जयपुर में होगा।

Rajasthan Politics: राजस्थान में सियासी तूफान, नरेश मीणा की रिहाई के लिए महापंचायत, सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम

Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है। टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव लड़ने वाले नरेश मीणा और उनके समर्थकों की रिहाई के लिए रविवार को नागरफोर्ट में आयोजित महापंचायत ने प्रदेश की राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। महापंचायत में सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी गई कि अगर सरकार ने बेगुनाहों की रिहाई और पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा नहीं की तो अगला महापड़ाव जयपुर में होगा। इस महापंचायत ने न केवल नरेश मीणा की रिहाई की मांग को प्रमुखता दी, बल्कि इसमें भाग लेने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से सरकार को चेताया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे सड़कों पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

नरेश मीणा की रिहाई के लिए महापंचायत

नरेश मीणा, जो कि टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट से उपचुनाव लड़ रहे थे, हाल ही में एसडीएम के साथ हुए विवादित थप्पड़कांड में जेल में बंद हो गए थे। इस घटना ने न केवल प्रदेश में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म किया, बल्कि नरेश मीणा के समर्थकों ने इसे राजनैतिक साजिश के रूप में देखना शुरू कर दिया। रविवार को टोंक के नागरफोर्ट में आयोजित महापंचायत में नरेश मीणा और उनके समर्थकों की रिहाई की मांग को लेकर एकजुटता दिखाई दी। महापंचायत में शामिल नेताओं ने कहा कि अगर सरकार 10 दिनों में उनकी मांगें पूरी नहीं करती तो वे जयपुर में महापड़ाव करेंगे।

महिपाल सिंह मकराना का बड़ा ऐलान

महापंचायत में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने न सिर्फ सरकार को चुनौती दी, बल्कि अपनी बातों से कड़ा संदेश भी दिया। मकराना ने कहा, "हम वॉरियर कौम से आते हैं, दबी-कुचली कौम से नहीं। अगर हमें न्याय नहीं मिला, तो हम छीनना जानते हैं। जयपुर के दांत फाड़ने का दम रखते हैं। मैं करणी सेना चलाता हूं, विकलांग सेना नहीं। लट्ठ मारना जानते हैं और लट्ठ मारने की हिम्मत भी है।" उनका ये बयान न केवल राजस्थान की राजनीति में तूल पकड़ने वाला था, बल्कि इससे सरकार के खिलाफ एक जन आंदोलन की आहट भी मिल रही थी।

महिपाल सिंह ने महापंचायत में कहा कि अगर सरकार ने मांगें नहीं मानी, तो वे जयपुर में एक बड़े आंदोलन की योजना बनाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि जयपुर की सड़कों पर महिपाल सिंह मकराना को हजारों लोगों के साथ देखा जाएगा। उनका ये बयान आंदोलन की न केवल ताकतवर शुरुआत की ओर इशारा कर रहा था, बल्कि ये भी बता रहा था कि करणी सेना इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह तैयार है।

कांग्रेस और अन्य नेताओं का रुख

महापंचायत में कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और कहा कि ''13 तारीख की समरावता घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। क्या एक अधिकारी द्वारा एक महिला का हाथ पकड़कर घसीटना अपराध नहीं है?'' उन्होंने इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नाकामी का नतीजा बताया और कहा कि नरेश मीना ने जनता के भरोसे पर चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की। कांग्रेस ने सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो जयपुर में महापड़ाव होगा। प्रहलाद गुंजल ने कहा कि ये आंदोलन एक सामान्य मुद्दा नहीं है, बल्कि ये प्रदेश की जनता के अधिकारों की लड़ाई है।

मध्यप्रदेश के विधायक बाबूलाल झंडेल का बयान

मध्यप्रदेश के विधायक बाबूलाल झंडेल ने भी महापंचायत में पहुंचकर नरेश मीणा के समर्थन में बयान दिया। उन्होंने कहा, "नरेश मीणा ने चुनाव लड़ा है, और वो हमारे दिलों में हैं। चंबल नदी के लोग अंग्रेजों को भगा चुके हैं, तो ये लल्लू-चप्पू लोग क्या हैं?" झंडेल ने कहा कि अब ये सिर्फ भाषण का मामला नहीं रह गया है बल्कि ये आत्मा की लड़ाई बन गई है।

विधायक जयकिशन पटेल का समर्थन

राजस्थान में नरेश मीणा के समर्थक नेताओं का भी मानना है कि इस घटना में पुलिस ने अत्याचार किया। बाप के विधायक जयकिशन पटेल ने कहा कि "अगर कोई गांव की जनता अपना हक मांगती है तो उसमें गलत क्या है? समरावता कांड में पुलिस ने नरेश मीणा के नाम पर जनता पर अत्याचार किया है।" उन्होंने भी सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों किसानों और जनता के हक के लिए आवाज उठाने वालों के साथ ऐसा सुलूक किया जा रहा है?

महापंचायत और इसके पीछे का संघर्ष

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नरेश मीणा के मामले को अब केवल एक लोकल या व्यक्तिगत मुद्दे के रूप में नहीं देखा जा सकता। ये मुद्दा अब पूरे राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अगर सरकार ने 10 दिनों में नरेश मीणा की रिहाई और पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान नहीं किया तो ये आंदोलन प्रदेश भर में फैल सकता है।

इस महापंचायत से ये साफ हो गया है कि करणी सेना और मीणा समुदाय के नेता अब न केवल नरेश मीणा की रिहाई की मांग कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन आंदोलन की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब ये देखना होगा कि राजस्थान की भाजपा सरकार इस दबाव को कैसे संभालती है और क्या वो इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाती है या ये आंदोलन तेज होता जाएगा।

राजनीति के सियासी रंग

राजस्थान में नरेश मीणा की रिहाई के लिए महापंचायत ने राजनीति के सियासी रंग को और गहरा कर दिया है। महिपाल सिंह मकराना, बाबूलाल झंडेल, प्रहलाद गुंजल जैसे नेताओं का आक्रोश और जयपुर में महापड़ाव की चेतावनी से ये साफ है कि ये मुद्दा केवल एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि एक बड़े जन संघर्ष में बदलने वाला है। अब ये देखना होगा कि राजस्थान की सरकार इस दबाव को कैसे संभालती है और इस मामले का समाधान कैसे करती है।