Rajasthan: भजनलाल शर्मा से नाराज मीणा,गुर्जर समाज ! BJP के लिए चिंता की बात, कैसे होगी नैया पार? जानें
राजस्थान में बजट सत्र से पहले, मीणा और गुर्जर समुदाय की नाराज़गी से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ीं। क्या जातीय समीकरणों में बदलाव भजनलाल शर्मा के लिए खतरे की घंटी है? जानिए यहां।

जयपुर। राजस्थान में बजट कल से बजट सत्र की शुरुआत हो रही है लेकिन उससे पहले किरोड़ी लाल मीणा और बड़े गुर्जर नेता विजय बैंसला ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है। एक तरफ कहा तो ये भी जा रहा है, गुर्जर समाज बीजेपी से नाराज है। बता दें, गुर्जर समुदाय जिससे भी नाराज हुआ है, उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा। चाहे वह वसुंधरा राजे हो या फिर अशोक गहलोत। 2023 के विधानसभा चुनावों में जो समुदाय बीजेपी के साथ थे। अब उनकी नाराजगी धीरे-धीरे सामने आने लगी है। यही कारण रह विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त करने बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 13 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में जानेंगे आखिर इस नाराजगी के पीछे का कारण क्या है।
बीजेपी से नाखुश मीणा समाज !
सबसे पहले बात मीणा समाज की। किरोड़ी लाल मीणा प्रदेश की राजनीति में अपना अहम स्थान रखते हैं। पक्ष हो या फिर विपक्ष वह बेबाकी से अपनी बात रखते हुए हैं। 2023 के चुनावों के बाद बाबा के समर्थकों को उम्मीद थी, उन्हें सीएम बनाया जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। वहीं, कई राजनीतिक पंडित मानते हैं, पार्टी के लिए लगातार प्रचार करने, पक्ष में माहौल बनाने के बाद भी उन्हें वो जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए। इस कारण से मीणा समाज बीजेपी से नाराज चल रहा है।
गुर्जर समाज भी बीजेपी के खिलाफ !
एक तरफ मीणा तो दूसरी तरफ गुर्जर समाज भी बीजेपी के खिलाफ खड़ा होता नजर आ रहा है। जिसके संकेत हाल में विजय बैंसला ने दिये । उन्होंने मांग की थी, गुर्जरों को जो आरक्षण मिला है, उसे नौंवी अनुसूची में डाला जाये। जो अभी तक नहीं हुआ है। बैंसला के बयानों को चेतावनी के तौर पर भी देखा जा रहा है।
बिगड़ रहे बीजेपी के जातीय समीकरण !
गुर्जर और मीणा समाज के अलावा अब धीरे-धीरे जाट समुदाय की बात भी जा रही है। कई राजनीतिक पंडित मानते हैं, जाट वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसके अलावा वसुंधरा राजे को सीएम न बनाना, विधानसभ चुनाव से उन्हें दूर रखने की टीस राजपूत समुदाय में भी कहीं न कहीं दिखाई दे रही है।
जातिगत नाराजगी से कैसे निपटेगी बीजेपी ?
राजस्थान की सत्ता उसी के हाथ में आती है जो जातिगत समीकरणों को साधने में कामयाब होता है लेकिन बीते एक साल के भीतर जिस तरह से तमाम वर्ग बीजेपी से अंसतु्ष्ट है तो पार्टी और संगठन दोनों के लिए चिंता का विषय है। आंकड़ों पर नजर डालें तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त पूर्वी राजस्थान में मिली थी। भरतपुर से लेकर दौसा तक पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। ऐसे में रुठे हुए नेताओं को बीजेपी कैसे मनाती है ये देखना दिलचस्प होगा।