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"जो खुद नहीं बचा वो मेरे खिलाफ क्या बोलेगा", बेनीवाल पर फायर हुईं दिव्या मदेरणा, Watch Video

कांग्रेस की दिव्या मदेरणा नागौर सासंद पर निशाना साधा है। दिव्या ने बेनीवाल पर निशाना साधते हुए उनकी राजनीति और ओसियां की स्थिति पर सवाल उठाए हैं, इस सियासी टकराव ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है।

"जो खुद नहीं बचा वो मेरे खिलाफ क्या बोलेगा", बेनीवाल पर फायर हुईं दिव्या मदेरणा, Watch Video

जयपुर। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल बेबाक बयानों के साथ सियासी अदावतों के लिए भी जानें जाते हैं। वुसंधरा राजे से लेकर दिव्या मदेरणा तक वह कई बार खुलकर बयानबाजी कर चुके हैं। इसी बीच नए समीकरण नजर आ रहे हैं जब एक बार फिर जुबानी जंग शुरू हो गई है। ये जंग किसी और से नहीं बल्कि कांग्रेस की युवा नेता दिव्या मदेरणा से है। दरअसल, इस वक्त सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जहां बेनीवाल को मदेरणा राजनीति का पाठ पढ़ाने के साथ खींवसर हार पर तंज कसते नजर आ रही हैं। सबसे पहले आप ये वीडियो देखिए-

हनुमान बेनीवाल पर बरसी दिव्या 

दिव्या मदेरणा एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं। इसी दौरान, उन्होंन बिना नाम लिये कहा, आज मैं आ रही थी तो किसी ने गाड़ी में मुझे उन नेता का वीडियो दिखाया। वो नेता ओसियां के लिए कह रहे थे, यहां पर ट्रांसफर उतारे जा रहे हैं। क्या हाल ओसियां में हैं। वो आकर धरने क्यों नहीं देते हैं। ये वही नेता है जो हार की डर से ओसियां में चिल्ला-चिल्लाकर कह रह थे मैं दिव्या को हराऊंगा। अगर आज ट्रांसफार्मर उतर रहे हैं, ओसियां की जनता प्रताड़ित है तो केवल आपकी वजह से। अगर मैं ये विधायक होती है तो ओसियां का ये कभी मंजर नहीं होता। 

"जो खुद नहीं बचे वो बयान दे रहे"

दिव्या यहीं नहीं रुकी। उन्होंने आगे कहा, राजनीति के भी अपने उसूल होते हैं। जो व्यक्ति अभेद्य किला खींवसर का, जिसका ईट-ईट ढह हो गई है। ऐसे परास्त व्यक्ति पर कुछ बोलना या राजनीतिक वार करना मेरी नैतिकता के खिलाफ है। मैं इस मंच से फिर भी बोलना चाहती हूं मैं महिला होने का औजार नहीं बनाऊंगी। जितनी आलोचना आप करना चाहते हैं खुले मैदान में करिए। मैं ओसियां के जनमानस की भावनाओं का प्रतीक हूं। इस दौरान वह पारिवारिक सियासत की बात करती नजर आईं। कांग्रेस नेता ने कहा, मेरे दादा जी, पिता जी, यहां तक मां और मैंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा लेकिन जो मुझपर सवाल उठाते हैं उनके पिता जी ने किसकी टिकट पर चुनाव लड़ा। कभी बीजेपी, कभी निर्दलीय तो कभी गठबंधन में। हालात तो ये हैं खुद की पार्टी होने के बाद भी गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि हमारे परिवार ने 16 चुनाव कांग्रेस के सिंबल पर लड़े हैं और यही आहूति का प्रतीक हैं।