स्लीपर सेल बयान से राजस्थान की सियासत में हलचल, गहलोत की विदाई या पायलट की ताजपोशी?
राहुल गांधी के स्लीपर सेल वाले बयान के बाद राजस्थान की राजनीति में हलचल मच गई है। अशोक गहलोत की रिटायरमेंट और 2028 में सचिन पायलट को कमान सौंपने की अटकलों ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह को फिर उजागर कर दिया है।

जयपुर। राहुल गांधी ने जबसे गुजरात में कार्यकर्ताओं के सामने स्लीपर सेल और नेताओं के बूथ तक ना जिताने पर बयान दिया है। तबसे प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है। लगातार सोशल मीडिया पर ऐसे एक के बाद एक ट्वीट और पोस्टर सामने आए। जहां लोगों ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत की रिटायरमेंट से लेकर 2028 की कमान पायलट को सौंपने की चर्चा शुरू कर दी। अगर देखा जाए तो ये काम कांग्रेस कार्यकर्ताओं का है नहीं। जिस तरह आने वाले सालों में कांग्रेस खुद को दोबारा खड़ा करने का प्रयास तो कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी कुछ नहीं हो रहा। राज्य कोई भी हो कांग्रेस नेताओं की दो फाड़ सामने आ ही जाती है।
बोलने नहीं काम करने की जरूरत !
राजनीतिज्ञ एक्सपर्ट्स मानें तो राजस्थान से लेकर देशभर में कांग्रेस के कई ऐसा नेता हैं जो बोलना तो बहुत अच्छे से जानते हैं। यहां तक वह बीजेपी को भी बहुत अच्छे से घेरते हैं लेकिन जब बात जमीनीं स्तर पर जनता का दिल जीतने की आती है तो वह पीछे रह जाते हैं। यही कारण 2012 के बाद किसी भी राज्य में कांग्रेस की दोबारा सत्ता नहीं आई है। बीते साल भी हरियाणा से लेकर छत्तीसगढ़, गुजरात,यूपी महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हार का सामना करना पड़ा था।
अब क्या करेगी कांग्रेस
जब कांग्रेस में रहकर बीजेपी के स्लीपर वाला बयान कांग्रेस के अगुवा दे रहे हैं तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। केवल राजस्थान नहीं बल्कि पूरे देश में कांग्रेस गुटबाजी की शिकार है। हर कोई एक-दूसरे का दुश्मन बना बैठा है। ऐसे में यदि कांग्रेस फिर से जींवत होना चाहती हैं तो बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का काम करना होगा। जनता के बीच बैठना होगा, राहुल गांधी हो या फिर कोई अन्य नेता उन्हें समझना चाहिए बयानबाजी वोटों में तब्दील नहीं होती है।