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साल 2024 राजस्थान के लिए कैसा रहा, जानिए किन घटनाओं ने लोगों पर बड़ा असर दिखाया!

Rajasthan Incidents In Year 2024: कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार के बाद लोकसभा चुनावों में वापसी की। साथ ही 25 में से 8 सीटें जीतकर पार्टी के अंदर कलह की खबरों पर विराम लगाया। वहीं, भाजपा ने 14 सीटों पर सिमट गई। भजनलाल सरकार ने उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया और 7 में से 5 सीटें जीतीं।

साल 2024 राजस्थान के लिए कैसा रहा, जानिए किन घटनाओं ने लोगों पर बड़ा असर दिखाया!

Rajasthan Incidents In Year 2024: नया साल दस्तक दे रहा है और पुराना साल अपने अनुभवों से सीख देकर अलविदा दे रहा है। ऐसे में साल 2024 में राजस्थान में कई ऐसी घटनाएं हुई, जिनमें से कुछ ने निराश और दुखी किया, तो कुछ ने जीत का अनुभव दिया। साल 2024 में राजस्थान में क्या कुछ बड़ा हुआ, चलिए जानते हैं...

हार के बाद कांग्रेस की वापसी

कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार के बाद लोकसभा चुनावों में वापसी की। साथ ही 25 में से 8 सीटें जीतकर पार्टी के अंदर कलह की खबरों पर विराम लगाया। वहीं, भाजपा ने 14 सीटों पर सिमट गई। भजनलाल सरकार ने उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया और 7 में से 5 सीटें जीतीं। सरकार ने पेपर लीक मामलों में सख्त कदम उठाकर जनता में विश्वास बहाल करने की कोशिश की। साथ ही मंत्रिमंडल की बैठक में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए 9 जिले और 3 संभागों को खत्म करने का फैसला लिया गया। आपको बता दें, अब प्रदेश में सिर्फ  41 जिले और 7 संभाग रह गए हैं।

घटनाओं से प्रदेश भर में लोग हुए बेहाल

साल 2024 में राज्य में कई गंभीर घटनाएं हुईं, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनीं। जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एलपीजी टैंकर और ट्रक की टक्कर में 20 लोगों की मौत और 39 वाहनों के जलने जैसी त्रासदी ने सभी को झकझोर दिया। दौसा में बोरवेल में गिरे एक बच्चे की मौत और मुख्यमंत्री के काफिले में दुर्घटना के चलते दो लोगों की मौत भी दुखदाई घटनाएं रहीं।

तेंदुए का आंतक, प्रदेशवासियों की चिंता

इसी साल अक्टूबर में झीलों के शहर उदयपुर के 20 गांवों में तेंदुए के हमलों ने 10 लोगों की जान ली, जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई। वन विभाग ने अभियान चलाकर स्थिति पर काबू पाया, लेकिन ये घटनाएं राज्य की वन्यजीव प्रबंधन नीति पर सवाल उठाती हैं।

राजनीति में देखने को मिला उस्थान

भाजपा और कांग्रेस का वर्चस्व प्रदेश में हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है। लेकिन भारतीय आदिवासी पार्टी के बढ़ते कद ने इस साल सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। भाजपा में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने पेपर लीक और उपचुनावों में हार के लिए पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को बदलकर मदन राठौर को नियुक्त किया, जिनके लिए विधानसभा उपचुनावों को अग्निपरीक्षा माना गया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ लड़ाई में बेहतर प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के साथ गठबंधन नहीं किया। आदिवासी बहुल वागड़ क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने चार विधायकों और एक सांसद के साथ अपनी ताकत दिखाई। चोरासी सीट पर जीत बरकरार रखते हुए बीएपी क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी।