भजनलाल भी कर रहे राजे-गहलोत जैसी गलती? बीजेपी के लिए मुसीबत बनेंगे गुर्जर!
BJP vs Gurjar: गुर्जर समुदाय, जिसकी 5-6% आबादी है. पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक और धौलपुर जैसे जिलों में 40-50 विधानसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव डालता है. यही वजह है कि इस समुदाय की नाराजगी बीजेपी के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है.

Gurjar Protest BJP: राजस्थान में गुर्जर समुदाय और बीजेपी के बीच की खटास एक बार फिर उभरकर सामने आई है. जिस तरह 2008 में वसुंधरा राजे सरकार को गुर्जरों के विरोध का सामना करना पड़ा था, उसी तरह अब भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर भी गुर्जरों की नाराजगी दिखाई दे रही है.
गुर्जर समुदाय, जिसकी 5-6% आबादी है. पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक और धौलपुर जैसे जिलों में 40-50 विधानसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव डालता है. यही वजह है कि इस समुदाय की नाराजगी बीजेपी के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है.
विजय बैंसला का बयान
विजय बैंसला, जो किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे और बीजेपी नेता हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि गुर्जर समाज को दिए गए 5% आरक्षण को अब तक संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है. इस देरी ने गुर्जरों में असंतोष पैदा कर दिया है. साथ ही गुर्जर नेताओं ने आरोप लगाया है कि भजनलाल शर्मा सरकार के मंत्रिमंडल में गुर्जर समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इस मुद्दे को हाल ही में गुर्जर कर्मचारी अधिकारी कल्याण परिषद की बैठक में भी उठाया गया. विजय बैंसला का मानना है कि यह सच कड़वा है, लेकिन इसे कहना जरूरी है. गुर्जरों को सरकार में उनकी अपेक्षित जगह नहीं मिली है, और यह स्थिति बदलने की जरूरत है. इस बैठक में कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी मौजूद थे, जो खुद गुर्जर समुदाय से आते हैं. पायलट की इस समुदाय में मजबूत पकड़ है और वे बीजेपी की गुर्जरों से बढ़ती दूरी का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
BJP के खिलाफ गुर्जर
यह पहला मौका नहीं है जब गुर्जरों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की हो. 2008 में वसुंधरा राजे सरकार के दौरान आरक्षण आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में 73 गुर्जरों की मौत हो गई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि 2008 के चुनाव में वसुंधरा सरकार सत्ता से बाहर हो गई. 2018 में भी “गौरव यात्रा” के दौरान गुर्जरों ने वसुंधरा राजे का विरोध किया, जिससे पार्टी को पूर्वी राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा.
अब भजनलाल शर्मा सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी और आरक्षण जैसे मुद्दों पर हो रही देरी से लगता है कि यह मामला बीजेपी के लिए बड़ा चुनावी नुकसान बन सकता है. कांग्रेस, सचिन पायलट के नेतृत्व में इस स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है. बीजेपी के लिए यह जरूरी है कि वह समय रहते गुर्जरों की नाराजगी को दूर करे, वरना अगामी चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.