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गजेंद्र सिंह शेखावत ने हनुमान बेनीवाल के जिक्र पर क्यों कहा 'मेरी बुआ को अगर मूछें होतीं, तो वो मेरे काका होते'

गजेंद्र सिंह शेखावत से जब पूछा गया कि हनुमान बेनीवाल कह रहे हैं कि अगर नरेश मीणा हमारी पार्टी से चुनाव लड़े होते, तो जीत जाते। इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने मजाकियां अंदाज में कहा कि वो तो समय निकल गया। मेरी बुआ को अगर मूछें होती, तो वो मेरे फूफा हो जाते। फिर से गजेंद्र सिंह शेखावत से पूछा गया कि वो हनुमान बेनीवाल को साथ लाएंगे।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने हनुमान बेनीवाल के जिक्र पर क्यों कहा 'मेरी बुआ को अगर मूछें होतीं, तो वो मेरे काका होते'

भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता, कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहते हैं। भारत रफ़्तार ने गजेंद्र सिंह शेखावत का एक एक्सक्यूसिव इंटरव्यू किया, जिसमें संवाददाता जितेश जेठानंदानी ने गजेंद्र सिंह शेखावत ने उनके राजनैतिक सफर से लेकर मौजूदा पार्टी की स्थिती के बारे में भी बात की। इस दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत ने कई अनसुने किस्से भी शेयर किए....

हनुमान बेनीवाल को लेकर क्या बोले गजेंद्र सिंह शेखावत

गजेंद्र सिंह शेखावत से जब पूछा गया कि हनुमान बेनीवाल कह रहे हैं कि अगर नरेश मीणा हमारी पार्टी से चुनाव लड़े होते, तो जीत जाते। इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने मजाकियां अंदाज में कहा कि वो तो समय निकल गया। मेरी बुआ को अगर मूछें होती, तो वो मेरे फूफा हो जाते। फिर से गजेंद्र सिंह शेखावत से पूछा गया कि वो हनुमान बेनीवाल को साथ लाएंगे। तो उन्होंने कहा कि साल 2013-14 के साथ लाने का प्रयास था। लेकिन पिछले चुनाव में उन्हें गहलोत जी से लगाव लगा, तो चुनाव में साथ रहे, लेकिन लग रहा है कि अब उनका वहां से भी मोह भंग हो गया है। राजनीति में कोई चीज स्थिर नहीं होती है।

राजकुमार रोत के 'हिंदू' होने पर क्या बोले गजेंद्र सिंह शेखावत

गजेंद्र सिंह शेखावत से जब आदिवासी नेता राजकुमार रोत के बारे में पूछा गया कि वो बीजेपी के विधायक हैं और कहते हैं कि वो हिंदू नहीं है। तो इस पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ये व्यक्तिगत विषय है। उनकी व्यक्तिगत सोच है। मैं तो इस तरह की बात नहीं मानता और न ही कोई टिप्पणी करना चाहता हूं।

ईवीएम पर उठे सवालों पर किया पलटवार

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से जब कांग्रेस द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाने को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा कैसे हो सकता है, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में साथ चुनाव होते हैं। जम्मू-कश्मीर में ईवीएम सही हो जाती है, लेकिन हरियाणा में गलत हो जाती है! महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में साथ चुनाव होते हैं, ईवीएम महाराष्ट्र में गलत हो जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सही होती है, ऐसा कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं जहां पर आप जीतते हैं वहां ईवीएम कैसे काम कर जाती है। जम्मू-कश्मीर चुनावी रिजल्ट में किसी ने ईवीएम पर सवाल खड़ा क्यों नहीं किया। विपक्ष अपनी विफलताओं पर आत्म मंथन करने की बजाय उससे भागने के बहाने ढूंढता हैं।