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Vasundhara Raje की राजनीति में हुई थी हार से शुरुआत, फिर जीत को बनाया अपना हथियार, जानिए उनका राजनैतिक सफर एक क्लिक में

वसुंधरा राजे ने राजनीति में हार से शुरुआत की थी, लेकिन तब शायद कोई नहीं जानता था कि एक दिन वो राजस्थान में जीत और महिला शक्ति का दूसरा नाम बन जाएंगी। वसुंधरा राजे ने साल 1984 में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने भिंड से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें अपने पहले ही चुनाव में हार मिली। 

Vasundhara Raje की राजनीति में हुई थी हार से शुरुआत, फिर जीत को बनाया अपना हथियार, जानिए उनका राजनैतिक सफर एक क्लिक में

राजस्थान बीजेपी मुख्यालय में हाल ही में एक अहम बैठक हुई, जहां पर पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया और सीएम भजनलाल शर्मा आस पास बैठे दिखाई दिए। जिसके बाद से राजस्थान बीजेपी के कार्यकर्ताओं में एक अलग उत्साह देखने को मिला है। वसुंधरा राजे राजस्थान की राजनीति में बड़ा नाम हैं, लेकिन वो कैसे राजनीति में आईं, कैसे इतना रुत्बा बनाया, चलिए हम आपको उनकी राजनैतिक जर्नी से अवगत कराते हैं....

जब वसुंधरा राजे का नाम देखकर चौंक गए थे अटलजी

वो बात 2002 की है, जब राजस्थान में जनसंघ और बीजेपी के सबसे बड़े नेता भैरोसिंह शेखावत उपराष्ट्रपति बने। बीजेपी के कई नेताओं के लिए राजस्थान में आगे बढ़ने का मौका बना। दिल्ली में अटल जी राजस्थान के पार्टी अध्यक्ष के बारे में भैरोंसिंह शेखावत से पूछा। इस सवाल-जवाब में कुछ नामों पर भी चर्चा हुई, जिसमें भैरोसिंह शेखावत ने धौलपुर की रानी रहीं वसुंधरा राजे का नाम लिया, बताया जाता है कि नाम सुनकर अटल जी चौंक गए थे।

कैसे हुई थी राजे की राजनीति की शुरुआत

वसुंधरा राजे के राजनीतिक सफर की शुरुआत उनके मायके से ही हुई। वसुंधरा ग्वालियर के राजघराने से संबंध रखती हैं। उनका जन्म 8 मार्च, 1956 को मुंबई में हुआ, फिर साल 1972 में धौलपुर के राजघराने में हेमंत सिंह से उनकी शादी हो गई। लेकिन शादी के एक साल बाद ही दोनों ने अलग हो गए। वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंशत के जन्म के बाद ही वसुंधरा अपने पति से अलग हो गई और अपने मायके ग्वालियर में रहने लगीं। उनकी मां विजया राजे बीजेपी से जुड़ी हुई थीं, जिससे वसुंधरा भी अपनी मां की तरह बीजेपी पार्टी से जुड़ गईं।

जब पहला चुनाव हारी थीं वसुंधरा राजे

वसुंधरा राजे ने राजनीति में हार से शुरुआत की थी, लेकिन तब शायद कोई नहीं जानता था कि एक दिन वो राजस्थान में जीत और महिला शक्ति का दूसरा नाम बन जाएंगी। वसुंधरा राजे ने साल 1984 में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने भिंड से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें अपने पहले ही चुनाव में हार मिली। राजस्थान के कद्दावर नेता भैरोसिंह शेखावत की सलाह पर उन्होंने 1985 में ना सिर्फ धौलपुर से चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद वो झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र से  लगातार पांच बार सांसद चुनी गईं।

साल 2003 में बनीं राजस्थान की पहली महिला सीएम

माना जाता है कि साल 2003 के चुनाव में राजस्थान के बीजेपी कार्यकर्ताओं को वसुंधरा ने मोबालाइज किया, जिससे बीजेपी ने 110 सीटों से विजय हासिल की। उस समय राजस्थान में बीजेपी के दो कद्दावर नेता भैरोसिंह शेखावत और जसवंत सिंह थे। भैरोसिंह को उपराष्ट्रपति और जसवंत सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। जिसके बाद वसुंधरा राजे के रूप में राजस्थान को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलीं और आज वो राजस्थान बीजेपी के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं।