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सिर्फ वादे नहीं, अब चाहिए पक्के फैसले...बजट आने से पहले किसानों ने कह दी बड़ी बात!

Rajasthan Budget 2025 Farmers Demand: राजस्थान के किसान इस बार के बजट से ठोस कदमों की उम्मीद कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि घोषणाएँ केवल कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि जमीन पर उतरें, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके और वे समृद्धि की ओर बढ़ सकें.

सिर्फ वादे नहीं, अब चाहिए पक्के फैसले...बजट आने से पहले किसानों ने कह दी बड़ी बात!

राजस्थान के किसान आगामी 2025 के बजट से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं. उनका कहना है कि अब केवल घोषणाओं से काम नहीं चलेगा; उन्हें जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही चाहिए. पिछले बजट में की गई कई घोषणाएँ अभी तक पूरी नहीं हुई हैं, जिससे किसानों में निराशा है.

पिछले बजट की अधूरी घोषणाएँ:
पिछले बजट में, राजस्थान सरकार ने आदिवासी जिलों के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह राशि अभी तक जारी नहीं की गई है, जिससे इन क्षेत्रों के किसानों में असंतोष है. किसानों का कहना है कि यदि आवंटित धनराशि समय पर जारी नहीं होती, तो विकास कार्य कैसे पूरे होंगे? 

नई योजनाओं की आवश्यकता:
किसानों की मांग है कि सरकार ऐसी योजनाएँ लाए जो सीधे उनके लाभ में हों. उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार ने हाल ही में 'आत्मनिर्भरता इन पल्सेस' मिशन की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है. इससे राजस्थान के दाल उत्पादक किसानों को लाभ होगा, क्योंकि राज्य दाल उत्पादन में अग्रणी है. 

किसानों की प्रमुख मांगें:
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी: किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलना चाहिए. इसके लिए MSP की कानूनी गारंटी आवश्यक है. हालांकि, द वॉयर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले बजट में इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था, जिससे किसानों में नाराजगी है. 

कर्ज माफी: कई किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं. वे चाहते हैं कि सरकार कर्ज माफी की योजना लाए, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें.

सिंचाई सुविधाओं में सुधार: राज्य में कई क्षेत्रों में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है. किसानों की मांग है कि सरकार सिंचाई परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दे.

सरकार से अपेक्षाएँ:
किसानों का कहना है कि सरकार को बजट में ऐसी घोषणाएँ करनी चाहिए जो व्यावहारिक हों और जिनका लाभ सीधे किसानों तक पहुँचे. वे चाहते हैं कि योजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध तरीके से हो, ताकि उन्हें वास्तविक लाभ मिल सके.