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Rajasthan BJP Internal Conflict : राजस्थान बीजेपी में माहौल ठीक नहीं, संगठन चुनाव में हर कोई दिखा रहा 'दम'

Rajasthan BJP Power Trussle: राजस्थान बीजेपी इस समय अपने संगठन चुनावों को लेकर अंदरूनी संघर्ष से जूझ रही है. जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में देरी सिर्फ प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर सत्ता संतुलन की जंग का नतीजा है.

Rajasthan BJP Internal Conflict : राजस्थान बीजेपी में माहौल ठीक नहीं, संगठन चुनाव में हर कोई दिखा रहा 'दम'

Rajasthan BJP Organisation Elections: राजस्थान बीजेपी इस समय अपने संगठन चुनावों को लेकर अंदरूनी संघर्ष से जूझ रही है. जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में देरी सिर्फ प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर सत्ता संतुलन की जंग का नतीजा है.

प्रदेश में 44 जिलों में संगठन की संरचना होनी थी, लेकिन अब तक सिर्फ 27 जिलों में ही जिलाध्यक्ष घोषित हो पाए, बाकी 17 जिलों में नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है. वजह? पार्टी के दिग्गज नेता—पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, सतीश पूनिया और कई केंद्रीय मंत्री—अपने भरोसेमंद नेताओं को पद दिलाने के लिए प्रयासरत हैं.

इस टकराव से संगठन पर क्या असर पड़ रहा है?
मूल योजना के अनुसार, दिसंबर 2024 तक मंडल और जिलाध्यक्षों का चुनाव पूरा होना था और 5 फरवरी 2025 तक प्रदेशाध्यक्ष चुना जाना था. लेकिन आधा फरवरी बीत चुका है और अभी तक जिलाध्यक्षों का चुनाव भी पूरा नहीं हुआ. जब निचले स्तर पर ही सहमति नहीं बन रही, तो प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव कब होगा, यह कोई नहीं जानता.

बी.एल. संतोष भी हल निकालने आए, पर गाड़ी वहीं अटकी
पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष इस गतिरोध को खत्म करने के लिए राजस्थान आए थे. उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से बैठक कर फीडबैक लिया और निर्देश दिए कि चुनावी प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए. लेकिन मामला ‘कौन रहेगा, कौन जाएगा’ पर अटका हुआ है. पार्टी चाहती है कि नए चेहरे लाए जाएं, ताकि संगठन में नई ऊर्जा आए, लेकिन पुराने नेता अपने विश्वस्त लोगों को पद दिलाने की जिद पर अड़े हैं.

किन जिलों में नहीं बन पाई सहमति?
झालावाड़: वसुंधरा राजे का गृह जिला
जयपुर शहर: सीएम भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम दीया कुमारी का प्रभाव क्षेत्र
चित्तौड़गढ़: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का गढ़
बीकानेर शहर: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल का क्षेत्र
जोधपुर उत्तर: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का प्रभाव क्षेत्र
अन्य जिले: दौसा, सवाई माधोपुर, झुंझुनू, करौली, धौलपुर, टोंक, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, बूंदी
इन जिलों में नए और पुराने चेहरों के बीच संघर्ष जारी है, और सहमति बनना आसान नहीं दिख रहा.

तीन से चार नाम, लेकिन कोई एक तय नहीं
हर जिले में जिलाध्यक्ष पद के लिए तीन से चार नाम चर्चा में हैं. संगठन चाहता है कि सभी गुटों की सहमति से नाम तय हो, लेकिन दिग्गज नेता अपने खास लोगों को इस पद पर देखना चाहते हैं, जिससे संगठन उनके प्रभाव में बना रहे. इस टकराव के कारण किसी एक नाम पर मुहर नहीं लग पा रही.

किन जिलों में हो चुका है ऐलान?
अब तक भरतपुर, अजमेर, नागौर, कोटा, बीकानेर देहात, जोधपुर दक्षिण, सीकर, पाली, जैसलमेर, उदयपुर और बांसवाड़ा समेत 27 जिलों में अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है.

अब आगे क्या?
राजस्थान बीजेपी के लिए यह सिर्फ संगठनात्मक देरी नहीं, बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव और आगे 2028 विधानसभा चुनाव के लिहाज से एक बड़ी चुनौती है. अगर पार्टी जल्द ही इस टकराव को सुलझाकर नई टीम गठित नहीं कर पाई, तो यह उसके लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकता है. सवाल यह है कि क्या पार्टी नेतृत्व आपसी मतभेद भुलाकर एक नई दिशा तय कर पाएगा, या यह अंदरूनी खींचतान और लंबी खिंचने वाली है?