राजस्थान विधानसभा में JJM से ख़राब हुई सड़कों पर हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट
राजस्थान विधानसभा में जल जीवन मिशन (JJM) के कारण क्षतिग्रस्त हुई सड़कों की मरम्मत को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस हुई. कांग्रेस विधायकों ने जवाबदेही तय करने की मांग की, लेकिन जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

जयपुर। राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गया. इस बार मामला था जल जीवन मिशन (JJM) के तहत बिछाई गई पाइपलाइनों से खराब हुई सड़कों की मरम्मत का. प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की. हालांकि, जब संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
‘सड़कें टूटी पड़ी हैं, मरम्मत क्यों नहीं हो रही?’
कांग्रेस विधायक हाकम अली ने सरकार से सवाल किया कि JJM पाइपलाइन बिछाने के दौरान सड़कों को तोड़ दिया गया, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी उनकी मरम्मत नहीं हुई. उन्होंने आरोप लगाया कि यह काम करने की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदारों की थी, लेकिन उन्होंने इसे दूसरी एजेंसियों को सौंप दिया, जिससे हालात जस के तस बने हुए हैं.
जलदाय मंत्री कन्हैया लाल ने जवाब देते हुए कहा कि जहां भी खराब सड़कों की जानकारी मिलेगी, वहां तुरंत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, "अगर कोई स्थान विशेष का नाम देंगे, तो मैं स्वयं जांच करवाऊंगा." लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ.
‘शिकायत करें तो किससे?’ – विधायक का सवाल
विधायक हाकम अली ने पलटकर सवाल किया, "जब सड़कों की हालत खराब है, तो आखिर इसकी शिकायत किससे की जाए? सरकार की जवाबदेही तय क्यों नहीं की जा रही?" इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि पहले संबंधित अधिकारियों से शिकायत की जाए, और यदि वहां सुनवाई न हो तो सीधे मुझे बताएं. लेकिन कांग्रेस विधायकों का कहना था कि यह सिर्फ बातें हैं, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है.
‘विपक्ष सिर्फ हंगामा कर रहा है’ – सरकार का पलटवार
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के पास ठोस मुद्दे नहीं हैं, इसलिए वह सिर्फ हंगामा करने में लगी है. उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में JJM से जुड़े कई घोटाले हुए, जिन्हें अब उजागर किया जा रहा है, और कांग्रेस इसी वजह से घबराई हुई है. इस बयान पर कांग्रेस विधायकों ने जोरोदार विरोध दर्ज कराया और नाराजगी में सदन से वॉकआउट कर दिया.
क्या सड़कों की सुध लेगी सरकार?
सवाल यह है कि टूटी सड़कों को लेकर जो बहस विधानसभा में हुई, उसका असर जमीनी स्तर पर कब दिखेगा? क्या सरकार मरम्मत के लिए ठोस कदम उठाएगी, या यह बहस सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रह जाएगी?