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राजस्थान के झुंझुनू से दिल का रिश्ता: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने निभाया वादा, स्कूल को मिला डिजिटल तोहफा

राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के संगासी गांव में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 5 मार्च को स्कूल दौरे के दौरान इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड देने का वादा किया था। अब उन्होंने महज़ 15 दिन में यह वादा निभा दिया। दिल्ली से आए अधिकारियों ने स्कूल को यह बोर्ड सौंपा, जिससे छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई। उपराष्ट्रपति ने कंप्यूटर लैब और 1000 किताबों वाली लाइब्रेरी का वादा भी किया है, जो जल्द ही स्कूल में स्थापित होगी। बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर इस भावुक पल को यादगार बना दिया।

राजस्थान के झुंझुनू से दिल का रिश्ता: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने निभाया वादा, स्कूल को मिला डिजिटल तोहफा

सच कहा जाता है कि जब कोई वादा दिल से किया जाए, तो उसे निभाने में वक्त नहीं लगता। इसका उदाहरण हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पेश किया, जिन्होंने अपने गृह ज़िले झुंझुनू के संगासी गांव स्थित राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों से जो कहा, उसे शब्द नहीं, कर्म में बदल दिखाया।

5 मार्च को जब वे इस छोटे से सरकारी स्कूल में पहुंचे, तो सिर्फ औपचारिकता निभाने नहीं आए थे। उन्होंने बच्चों के साथ समय बिताया, उनकी आंखों में सपने देखे और शिक्षकों की बातों में ज़रूरतें महसूस कीं। तकनीक से जुड़ती शिक्षा व्यवस्था की चर्चा करते हुए उन्होंने खुद कहा था—अब वक्त आ गया है कि सरकारी स्कूल भी आधुनिक साधनों से लैस हों।

आज, महज़ 15 दिन बाद, स्कूल की कक्षा में जब एक चमचमाता इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड लगाया गया, तो बच्चों की आंखें चमक उठीं। दिल्ली से आए उपराष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारियों ने जब यह उपहार सौंपा, तो पूरा स्कूल जैसे किसी उत्सव में डूब गया। डीईओ सुभाषचंद्र ढाका और एडीईओ उम्मेद महला ने न सिर्फ उनका स्वागत किया, बल्कि इस भावनात्मक जुड़ाव के लिए आभार भी जताया।

बच्चों ने उस मौके पर सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर माहौल को और भावुक बना दिया। उन बच्चों के लिए यह सिर्फ एक तकनीकी उपकरण नहीं, बल्कि एक उम्मीद थी—कि कोई है जो उनकी बात सुनता है और उन्हें गंभीरता से लेता है।

उपराष्ट्रपति यहीं नहीं रुके। उन्होंने कंप्यूटर लैब और 1000 नई किताबों वाली लाइब्रेरी का भी वादा किया है, जो अगले तीन महीने में पूरी होनी है। स्कूल के भविष्य को लेकर हो रही इन तैयारियों ने विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों को प्रेरणा से भर दिया है।

दिल्ली से आए अधिकारियों ने इन दोनों योजनाओं की रूपरेखा पर चर्चा की और छात्रों के दिल्ली दौरे की संभावनाओं पर भी बात की। यह दौरा न सिर्फ शिक्षा का विस्तार होगा, बल्कि ग्रामीण भारत के बच्चों को देश की राजधानी से जोड़ने का एक नया पुल भी बनेगा।