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क्या पायलट करेंगे खेल? बीजेपी का गुर्जर नेता देगा बड़ा झटका! पूर्वी राजस्थान में खड़ी हो सकती है परेशानी

Sachin Pilot Political Support: बीजेपी नेता विजय बैंसला के भाषण से पहले कार्यक्रम में पायलट समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. “पायलट तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं” जैसे नारों से सभा गूंज उठी. बैंसला ने भी पायलट की तारीफ करते हुए उन्हें "सबके लाडले-प्यारे" कहा. इस बयान ने राजनीति में पायलट के बढ़ते कद को और मजबूत किया.

क्या पायलट करेंगे खेल? बीजेपी का गुर्जर नेता देगा बड़ा झटका! पूर्वी राजस्थान में खड़ी हो सकती है परेशानी

Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में हलचल मचाने वाला एक दिलचस्प मोड़ सामने आया है. 23 जनवरी को गुर्जर कर्मचारी अधिकारी कल्याण परिषद के एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर काफी चर्चा हुई. खास बात यह रही कि कार्यक्रम में बीजेपी नेताओं ने भी पायलट का समर्थन किया, जिससे प्रदेश की सियासत में नए समीकरण बनने की अटकलें तेज हो गई हैं.

पायलट पर केंद्रीय मंत्री का बयान
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने इशारा दिया कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को सचिन पायलट के नाम पर वोट मिले थे. लेकिन जब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. यह बयान न केवल पायलट के प्रभाव को उजागर करता है, बल्कि उनकी राजनीतिक ताकत का भी इशारा करता है.

'पायलट तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं'
बीजेपी नेता विजय बैंसला के भाषण से पहले कार्यक्रम में पायलट समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. “पायलट तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं” जैसे नारों से सभा गूंज उठी. बैंसला ने भी पायलट की तारीफ करते हुए उन्हें "सबके लाडले-प्यारे" कहा. इस बयान ने राजनीति में पायलट के बढ़ते कद को और मजबूत किया.

पूर्वी राजस्थान में खड़ी होगी परेशानी?
गुर्जर समुदाय, जो राजस्थान में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है. और इस समुदाय में पायलट की लोकप्रियता किसी से छुपी नहीं है. अगर सचिन पायलट को इस समर्थन का फायदा मिलता है, तो यह न केवल कांग्रेस बल्कि बीजेपी के लिए भी चिंता का कारण बन सकता है. खासतौर पर पूर्वी राजस्थान के क्षेत्रों में जहां गुर्जर समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है.

बीजेपी नेता का ये बयान कहीं न कहीं ये दर्शाता है कि सचिन पायलट पूर्वी राजस्थान में हलचल पैदा कर सकते हैं. इसलिए सचिन पायलट को पूरा समर्थन देने की बात कर रहे हैं. इसके अलावा यह भी संभव है कि बीजेपी पायलट के समर्थन से कांग्रेस को भीतरघात का सामना करने के लिए मजबूर करना चाहती हो. वहीं, सचिन पायलट का अपनी पार्टी में अनदेखा होना भी उन्हें नई रणनीतियां अपनाने पर मजबूर कर सकता है.

अगर ऐसा हुआ तो राजस्थान की राजनीति दिलचस्प हो जाएगी. अब सचिन पायलट के पास दो विकल्प हो सकते हैं. कांग्रेस में रहकर सचिन पायलट अपनी ताकत को और मजबूत करेंगे, या फिर नए राजनीतिक समीकरणों की ओर बढ़ेंगे?