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Rajasthan: बीजेपी के लिए 'गेम चेंजर' दीया कुमारी, 10 साल में दिखाया सियासी दम, यहां पढ़ें राजनीतिक सफर

दीया कुमारी का राजनीतिक सफर: राजस्थान की डिप्टी सीएम, राजघराने से ताल्लुक, बीजेपी में भूमिका और उनके राजनीतिक सियासी सफर के बारे में जानें। 

Rajasthan:  बीजेपी के लिए 'गेम चेंजर' दीया कुमारी, 10 साल में दिखाया सियासी दम, यहां पढ़ें राजनीतिक सफर

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में जब महिला नेताओं की बाती है तो वसुंधरा राजे के बाद दीया कुमारी का नाम लिया जाता है। मौजूदा वक्त में वह डिप्टी सीएम के पद पर कार्यरत हैं। दीया कुमार 30 जनवरी को जन्मदिन में मना रही हैं। वह राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। अक्सर लोग उनकी पर्सनल लाइफ से लेकर सियासी सफर के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। ऐसे में हम आपके लिए उनके राजनीतिक करियर का पूरा चिट्ठा लेकर आये हैं। 

दीया कुमारी बीजेपी की वह नेता है, जिनकी सियासी जमीन अक्सर बदली गई है। पहले सांसद और विधायक बनने के लिए अदम्य साहस दिखाना कोई डिप्टी सीएम से सीखे। विधानसभा चुनाव के दौरान जब उन्हें विधायकी लड़ने के लिए कहा तो बहुत लोगों ने इसे डिमोशन बताया लेकिन दीया कुमारी ने शानदार परिचय देते हुए चुनाव में न केवल जी तोड़ मेहनत की बल्कि जीत भी हासिल की। जिसका इनाम भी उन्हें मिला। आज जयपुर राजघराने की राजकुमारी प्रदेश की डिप्टी सीएम है। 

दीया कुमारी का सियासी सफर

जब दीया कुमारी ने राजनीतिक करियर की शुरुआत की हर कोई उन्हें वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर देख रहा था लेकिन दीया तो कुछ और चाहती थीं। उन्होंने पुरानी लकीर पर अपना नाम लिखने के बजाय खुद की पहचान बनाई और यही कारण है, 10 साल की सियासी सफर में वह उपमुख्यमंत्री पद तक पहुंच गईं। 

जमीनीं स्तर पर जमाई पैंठ

दीया कुमार भले राजघराने में जन्मी हो लेकिन वह हमेशा से जमीन से जुड़ी रही हैं। चाहे प्रशंसकों से मिलना हो या फिर जनता की सेवा करना। वह हमेशा जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी नजर आती हैं। जब बात महिलाओं के अधिकार की आती है तो दीया कुमारी अक्सर बेबाक होकर अपनी राय रखती हैं। इसके अलावा वह संघ और संगठन दोनों की करीबी मानी जाती है। 

कंधों पर उठाया बीजेपी का भार

मन मुताबिक टिकट न मिलने से अक्सर नेता बागी तेवर अपना लेते हैं लेकिन दीया कुमारी ने सियासी सफर में राजस्थान की तीन अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ा और भगवा झंडा कभी झुकने नहीं दिया। पार्टी ने उन्हें 2013 में पहली बार सवाई माधोपुर से टिकट दिया। पहला चुनाव आसान नहीं था, उनके सामने किरोड़ी लाल मीणा की चुनौती थी लेकिन इस सीट पर जीत हासिल कर वह पार्टी का भरोसा जीतने में भी कामयाब रहीं। दूसरी बार उन्हें  2019 में राजसमंद सीट से  टिकट मिला और वह सांसद चुनी गईं। जबकि 2023 के विधानसभा चुनावों में राजकुमारी ने जयपुर की विद्याधर नगर सीट पर 70 हजार वोटों से जीत दर्ज की। 

बीजेपी के लिए क्यों जरूरी दीया कुमारी का साथ ?

दीया कुमारी राजपूत समुदाय से आती हैं। जो प्रदेश की राजनीति में अलग रसूख रखता है। 2018 के चुनावों में राजपूतों की नाराजगी के कारण कई सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इस गलती से 2023 के चुनाव में बीजेपी से सबक लिया और दीया कुमारी पर भरोसा जताई। बत दें, प्रदेश में 14 फीसदी जाट वोटर्स हैं जो 60 सीटों पर समीकरण बिगाड़ने और बनाने की ताकत रखते हैं। 

कहा जाता है जिसने मेवाड़ जीत राजस्थान की सत्ता उसकी हुई। दीया कुमारी राजसमंद से सांसद रह चुकी हैं। वह मेवाड़ में अपना जनाधार रखती हैं। इसलिए बीजेपी के लिए दीया कुमारी जरूरी है। 

वसुंधरा राजे और बीजेपी के साथ मतभेद किसी से छिपे नहीं है। महारानी कई बार केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ तल्ख तेवर अपना चुकी हैं लेकिन इससे इतर दीया कुमारी की छवि बिल्कुल विपरीत है। वह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। उनकी साफ सुथरी छवि और संघ-संगठन का भरोसा भी दीया कुमरी को पार्टी के लिए अहम बनाता है।