"बदले की राजनीति"...गहलोत राज के 9 जिलों को भजनलाल सरकार ने किया समाप्त, सदन में तीखी बहस जारी
Bhajanlal Sharma Latest News: राज्य में जिलों के पुनर्गठन को लेकर राजनीति तेज हो गई है. विपक्ष इस मुद्दे को आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बना सकता है. वहीं, सरकार का कहना है कि वह जनता के हित में ही फैसले ले रही है और आगे भी लेती रहेगी. देखना यह होगा कि इस विवाद का आगे क्या प्रभाव पड़ता है और क्या सरकार अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करेगी या नहीं.

Rajasthan Land Revenue Act 1956: राजस्थान की राजनीति में जिलों के पुनर्गठन को लेकर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है. गहलोत सरकार द्वारा में इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई, जहां संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सरकार का रुख स्पष्ट किया. हालांकि, विपक्ष उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और सदन में तीखी नोकझोंक देखने को मिली.
सरकार के पास जिले बनाने और खत्म करने का पूरा अधिकार – मंत्री जोगाराम पटेल
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विधानसभा में कहा कि राजस्थान में नए जिले, उपखंड, तहसील और उप तहसील के गठन या पुनर्गठन का अधिकार राज्य सरकार के पास है. उन्होंने राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 (Rajasthan Land Revenue Act 1956) के सेक्शन 15 और 16 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को जिलों को बनाने और खत्म करने की पूरी संवैधानिक शक्ति प्राप्त है.
9 जिलों को खत्म करने के पीछे क्या है कारण?
मंत्री पटेल ने सदन में बताया कि यह निर्णय पूरी बारीकी और गहन अध्ययन के बाद लिया गया है. इसके लिए पूर्व में गठित परमेशचंद्र कमेटी की सिफारिशों का अध्ययन किया गया, जिसके आधार पर वर्तमान सरकार ने यह फैसला किया.
किन मापदंडों पर लिया गया निर्णय?
भजनलाल सरकार ने जिलों को खत्म करने के लिए निम्नलिखित मापदंडों को ध्यान में रखा:
भौगोलिक स्थिति
जनसंख्या संतुलन
प्रशासनिक व्यवस्था
आर्थिक पिछड़ापन
बुनियादी सुविधाएं
सरकार का तर्क है कि इन जिलों का गठन बिना समुचित अध्ययन और संसाधनों के किया गया था, जिससे प्रशासनिक कठिनाइयां उत्पन्न हो रही थीं.
निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ लिया गया निर्णय
मंत्री पटेल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ लिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार यह कदम उठा रही है, ताकि प्रशासनिक व्यवस्थाएं मजबूत हो सकें और संसाधनों का सही इस्तेमाल हो सके.
गहलोत सरकार ने क्यों बनाए थे 17 नए जिले और 3 संभाग?
उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में 17 नए जिले और 3 नए संभागों की घोषणा की थी. कांग्रेस सरकार ने इसे जनता की सुविधा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला बताया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही इनमें से 9 जिले और तीनों संभाग समाप्त कर दिए.
राजनीति हुई गर्म, सदन में तीखी बहस
इस फैसले को लेकर राजस्थान विधानसभा से लेकर सड़क तक बवाल मचा हुआ है. विपक्ष इसे बीजेपी सरकार की "बदले की राजनीति" बता रहा है, जबकि सरकार इसे व्यवहारिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से लिया गया उचित निर्णय करार दे रही है. गुरुवार को विधानसभा में इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई, जहां विपक्ष ने सरकार पर जनता के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया.