शिव विधायक Ravindra Singh Bhati पर मुकदमा, भाटी बोले- "ये मेरे लिए मैडल है" राजनीति और विरोध प्रदर्शन का दौर
Ravindra Singh Bhati: शिव विधानसभा क्षेत्र में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। किसानों का आरोप है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

Ravindra Singh Bhati: राजस्थान के बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी इन दिनों विवादों के केंद्र में हैं। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में बाधा डालने और अधिकारियों को धमकाने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ये मामला अब जांच के लिए सीआईडी-सीबी को सौंप दिया गया है। हालांकि, विधायक भाटी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे किसानों के अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई बताया है।
8500 करोड़ का अटका निवेश
नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि शिव इलाके में भाटी द्वारा उत्पन्न की गई बाधाओं के चलते नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में 8500 करोड़ रुपये का निवेश रुका हुआ है। इस पत्र के बाद प्रशासन ने तेजी दिखाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है।
किसानों के मुआवजे को लेकर आंदोलन
शिव विधानसभा क्षेत्र में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। किसानों का आरोप है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भाटी ने कहा, “विकास के नाम पर किसानों का विनाश बर्दाश्त नहीं होगा। मैं केवल किसानों को उनका हक दिलाने की कोशिश कर रहा हूं।”
विधायक का पलटवार
रविंद्र भाटी ने सरकार और कंपनियों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये मुकदमा उन्हें डराने और चुप कराने की साजिश है। उन्होंने चुनौती दी, “कंपनियां उन लोगों को सामने लाएं जिन्हें मैंने धमकाया है या उनसे पैसे मांगे हैं। ये मुकदमा मेरे लिए किसी मैडल से कम नहीं है। मैं किसानों के साथ था, हूं, और रहूंगा। जरूरत पड़ी तो धरना और प्रदर्शन करेंगे, लेकिन किसानों की आवाज दबने नहीं देंगे।”
सरकार की रणनीति पर सवाल
भाटी ने ये भी आरोप लगाया कि सरकार और कंपनियां निवेश के नाम पर किसानों के अधिकारों की अनदेखी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही वो अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे और विधानसभा में इस मुद्दे को उठाएंगे।
राजनीतिक रंग लेता मामला
ये मामला केवल प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि अब इसमें राजनीति भी शामिल हो गई है। जहां सरकार इसे निवेश और विकास के लिए जरूरी कदम बता रही है, वहीं भाटी इसे किसानों की लड़ाई के खिलाफ एक षड्यंत्र करार दे रहे हैं।