Bangladesh में हिंदुओं पर हिंसा पर भड़के Ashok Gehlot, सरकार पर साधा निशाना, चुप क्यों भाजपा सरकार?
अब तक 23 हिंदुओं की हत्या हो चुकी है, जबकि 152 मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है। इस भयावो स्थिति के बावजूद भारत सरकार की चुप्पी पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई राजनेताओं ने सवाल खड़े किए हैं।

बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा ने एक बार फिर से हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ खड़ी कर दी हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद से लगातार बिगड़ते हालात के बीच अब तक 23 हिंदुओं की हत्या हो चुकी है, जबकि 152 मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है। इस भयावो स्थिति के बावजूद भारत सरकार की चुप्पी पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई राजनेताओं ने सवाल खड़े किए हैं।
भारत की कूटनीतिक भूमिका पर सवाल
अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने अभी तक वैश्विक स्तर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वो कूटनीतिक दबाव बनाए और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से हुई हिंसा में 23 हिन्दुओं की हत्या हो चुकी है एवं 152 मंदिरों में तोड़फोड़ की जा चुकी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी परिस्थिति के बावजूद भारत सरकार ने वैश्विक प्लेटफॉर्म्स पर अभी तक कोई भी बयान देना या बांग्लादेश पर दबाव डालना उचित नहीं समझा है।…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 9, 2025
हिंसा के पीछे बढ़ती अस्थिरता
बुधवार रात एक बार फिर से बांग्लादेश में हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर हमला किया, आगजनी की और बुलडोजर तक चला दिया। इस दौरान कई हिंदू परिवारों के घरों को भी निशाना बनाया गया, जिससे देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ये मामला?
बांग्लादेश भारत का पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध गहरे रहे हैं। ऐसे में, भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाए और बांग्लादेश सरकार पर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या भारत सरकार इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया देती है या फिर ये मामला यूँ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनदेखा कर दिया जाएगा। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी केवल बांग्लादेश सरकार की ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी जिम्मेदारी है, और भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।