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दोबारा चर्चा में हैं वसुंधरा राजे सिंधिया, क्या बनेंगी अगली BJP चीफ ?

राजस्थान में मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें तेज हैं। इन सबके बीच यह देखना होगा कि आखिर राजस्थान और BJP के भीतर वसुंधरा राजे के प्रभाव को एक बार फिर केंद्रीय नेतृत्व में स्वीकार किया जाता है या नहीं ।

दोबारा चर्चा में हैं वसुंधरा राजे सिंधिया, क्या बनेंगी अगली BJP चीफ ?

राजस्थान के राजनीतिक माहौल के बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया की राजनीति में वापसी ने सियासी सरगर्मी को हवा दे दी है। लगातार उनको लेकर के चर्चाएं हो रही हैं। खास कर के राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे के बीच 35 मिनट की महत्वपूर्ण बैठक के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। भजनलाल कैबिनेट में फेरबदल की अफवाहों और राजे के करीबियों को कैबिनेट में बड़े पद मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर राजस्थान और BJP के अंदर वसुंधरा के बढ़ते प्रभाव को क्या केंद्रीय नेतृत्व स्वीकार करेगा?

औपचारिकताओं से परे मुलाकात

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राजे के बीच मुलाकात 35 मिनट तक चली, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसको लेकर के चर्चाएं हैं। मुख्यमंत्री का राजे के घर जाना बहुत कुछ कहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजे की चर्चा से पहले हुई यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि BJP का केंद्रीय नेतृत्व शायद एक समय तक दरकिनार रहने के बाद उनकी लोकप्रियता और महत्व को पहचान रहा है।

अंतरखाने खबर है कि राजे ने कथित तौर पर पीएम मोदी के समक्ष अपनी शिकायतें बताई हैं। खास तौर पर उनके सहयोगियों को कैबिनेट और BJP संगठन में महत्वपूर्ण भूमिकाओं से बाहर रखे जाने के बारे में। यह तस्वीर तो साफ है कि दोनों के बीच यह मुलाकात महज एक सामान्य बातचीत नहीं थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजस्थान में BJP के भीतर एक जननेता के रूप में राजे का कद बेजोड़ है।

 मंत्रिमंडल में फेरबदल और सेंटर में राजे

 BJP आगामी राजनीतिक लड़ाइयों के लिए रणनीति बना रही है। कहीं न कहीं दरकिनार किए जाने के बाद भी वसुंधरा शांत बनी हुई हैं। साथ ही साथ लोकसभा चुनावों और अपने निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में राजस्थान में BJP का प्रदर्शन उम्मीदों से कम रहा राज्य में सरकार होने के बावजूद बीजेपी 11 सीटें हार गईं। इस परिणाम ने कथित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व को राजे के प्रभाव का दोबारा से मूल्यांकन करने के लिए मजबूर किया है।

वसुंधरा की वापसी में RSS की भूमिका

वसुंधरा राजे की वापसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संभावित भूमिका पर भी विचार किया गया। कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर मोदी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए संजय जोशी को अस्वीकार करते हैं, तो राजे आरएसएस के साथ अपने ऐतिहासिक रूप से संबंधों के बावजूद एक विकल्प बन जाती हैं। बता दें कि वसुंधरा राजे और आरएसएस नेताओं के बीच हाल ही में हुई मुलाकातों से संबंधों में सुधार के संकेत मिले हैं जिससे पार्टी के भीतर उनकी स्थिति मजबूत हुई है। अल्पसंख्यकों के बीच राजे की लोकप्रियता और उनका उदारवादी रुख उन्हें अलग बनाता है। उनकी व्यापक अपील पारंपरिक BJP वोट बैंकों से परे है, जो उन्हें अलग बनाती है।

सीएम या केंद्र में रोल ?

वसुंधरा राजे के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें अभी भी जारी हैं। हालांकि, रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्होंने राज्यपाल बनने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनकी संभावना पर चर्चा की गई। साथ ही उम्मीद भी यही है कि राजे ऐसी भूमिका के लिए मना नहीं करेंगी। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की राजनीतिक चतुराई और मजबूत पकड़ का हवाला देते हुए निकट भविष्य में उनके राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में लौटने की संभावना को खारिज कर दिया। 

राजस्थान के लिए BJP की रणनीति

BJP वसुंधरा राजे की जन अपील से वाकिफ हैं, खास तौर पर उनके जमीनी स्तर पर किए गए प्रयासों और सार्वजनिक उपस्थिति को लेकर। हाल ही में जोधपुर में उनकी यात्रा के दौरान उनका स्वागत मुख्यमंत्री के खुद के स्वागत से भी बेहतर तरीके से हुआ। राजस्थान की राजनीति में राजे की बढ़ती लोकप्रियता को स्वीकार किया गया है भले ही देर से ही सही।

वसुंधरा राजे का प्रभाव निर्णायक है क्योंकि BJP "एक राष्ट्र, एक चुनाव" ढांचे के तहत संभावित समय से पहले चुनावों के लिए तैयार है। राजे केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र को जीतने वाली नेता नहीं हैं, वह BJP के अंदर और बाहर दोनों जगह एक महत्वपूर्ण समर्थन आधार रखती हैं। बता दें कि राजे का फिर से उभरना राजस्थान में सत्ता को मजबूत करने के लिए BJP नेतृत्व का एक सुनियोजित कदम है। हालांकि अभी भी उनकी भूमिका अनिश्चित बनी हुई है