आखिर क्यों चली आ रही है वसुंधरा राजे सिंधिया और हनुमान बेनीवाल के बीच अदावत ? राजनीति के लिहाज से समझिए
राजस्थान की राजनीति के दो नाम वसुंधरा राजे सिंधिया और हनुमान बेनीवाल। दो ऐसे चेहरे जिनके बीच के राजनीतिक मतभेद हमेशा से चर्चा में रहे हैं। लेकिन सवाल ये कि आखिर दोनों के बीच ये मतभेद है क्यों ?

वसुंधरा राजे सिंधिया और हनुमान बेनिवाल के बीच पुरानी अदावत की कहानी राजनीतिक मतभेदों और व्यक्तिगत रिश्तों से जुड़ी हुई है। हनुमान बेनिवाल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संस्थापक हैं और राजपूत समुदाय से आते हैं। उनकी पार्टी और वसुंधरा राजे की बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर टकराव रहा है। कुछ मुख्य कारणों की चर्चा की जा सकती है:
- राजपूत राजनीति और समुदाय का समर्थन: वसुंधरा राजे सिंधिया और हनुमान बेनिवाल दोनों ही राजपूत समुदाय से आते हैं, और राजस्थान में राजपूतों का प्रभाव महत्वपूर्ण है। बेनिवाल ने हमेशा राजपूत समुदाय को लेकर अपनी अलग पहचान बनाई है, जबकि वसुंधरा राजे का भी इसी समुदाय में गहरा प्रभाव है। इसके कारण दोनों के बीच राजनीतिक समर्थन को लेकर प्रतिस्पर्धा रही है।
- बीजेपी और RLP का टकराव: हनुमान बेनिवाल ने शुरू में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन बाद में वह पार्टी से अलग हो गए और अपनी अलग पार्टी (RLP) बना ली। इससे वसुंधरा राजे और बीजेपी के लिए राजनीतिक तनाव बढ़ गया, क्योंकि बेनिवाल ने बीजेपी के खिलाफ कई बार बयान दिए और कई मुद्दों पर विरोध व्यक्त किया। उनके इस विरोध को वसुंधरा राजे और बीजेपी ने अपने लिए चुनौती के रूप में देखा।
- बेनिवाल की आलोचनाएं: हनुमान बेनिवाल ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व को लेकर कई बार आलोचनाएं की हैं, खासकर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए कुछ निर्णयों और नीतियों को लेकर। बेनिवाल का आरोप है कि वसुंधरा राजे ने राजपूत समुदाय के हितों की अनदेखी की और उनकी सरकार में पारदर्शिता की कमी थी। इसके कारण दोनों के बीच तनाव बढ़ा।
- राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं: वसुंधरा राजे और हनुमान बेनिवाल दोनों ही राजस्थान में प्रमुख नेताओं के रूप में उभरे हैं और राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोनों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं कभी-कभी एक-दूसरे से टकराई हैं, जिससे संबंधों में तनाव आ गया है।
इन कारणों से वसुंधरा राजे और हनुमान बेनिवाल के बीच एक पुरानी राजनीतिक अदावत रही है। यह दोनों नेताओं के लिए राज्य में एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी की तरह काम करती रही है, खासकर चुनावों के दौरान।
जब आमने-सामने आ गए वसुंधरा राजे सिंधिया और हनुमान बेनीवाल
वसुंधरा राजे सिंधिया और हनुमान बेनीवाल के बीच कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से आमने-सामने आने वाले विवाद हुए हैं, जिनमें राजनीति और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप शामिल रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं ये हैं-
2018 विधानसभा चुनावों के बाद की स्थिति:
2018 विधानसभा चुनावों के दौरान, हनुमान बेनीवाल ने वसुंधरा राजे और बीजेपी के खिलाफ तीखा विरोध किया। बेनीवाल जो पहले बीजेपी के साथ गठबंधन में थे उन्होंने वसुंधरा राजे के नेतृत्व की आलोचना की और उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए अयोग्य बताया। वह बार-बार यह कहते रहे कि राजे के नेतृत्व में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और राज्य में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वसुंधरा राजे ने राजपूत समुदाय के हितों की अनदेखी की और उनकी सरकार में राजपूतों के लिए कोई ठोस काम नहीं किया गया। हनुमान बेनिवाल ने राजस्थान में राजपूत समुदाय के लिए अपना समर्थन बढ़ाने का प्रयास किया और वसुंधरा राजे को निशाना बनाया।
बीजेपी छोड़ने के बाद बेनीवाल का बयान
जब हनुमान बेनिवाल ने बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) बनाई, तब उन्होंने वसुंधरा राजे और बीजेपी पर कई आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि बीजेपी के भीतर "परिवारवाद" और "कुप्रबंधन" के कारण वह पार्टी से अलग हुए। उन्होंने वसुंधरा राजे पर यह आरोप लगाया कि उनका नेतृत्व राजस्थान में पार्टी को नुकसान पहुँचा रहा था।
राजपूत वोट बैंक को लेकर विवाद:
वसुंधरा राजे और हनुमान बेनिवाल दोनों ही राजपूत समुदाय से आते हैं, और इस समुदाय को लेकर दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा रही है। हनुमान बेनिवाल ने राजपूतों के अधिकारों और उनके हितों की वकालत की, जबकि वसुंधरा राजे ने भी इस समुदाय से अपना समर्थन जुटाने की कोशिश की। दोनों के बीच राजपूत वोट बैंक पर प्रभाव की दौड़ में खींचतान रही, और इस मुद्दे ने अक्सर तनाव पैदा किया।
2020 में तकरार:
2020 में राजस्थान विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी के बीच लगातार राजनीतिक उथल-पुथल चल रही थी। हनुमान बेनिवाल ने वसुंधरा राजे के खिलाफ बयान दिए और उनकी नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने वसुंधरा राजे को पार्टी के भीतर "पुरानी राजनीति" का प्रतीक करार दिया और उनकी आलोचना की।
इस प्रकार, वसुंधरा राजे और हनुमान बेनिवाल के बीच की राजनीति में कई बार सीधा टकराव हुआ, जिसमें आरोप-प्रत्यारोप और व्यक्तिगत हमले भी शामिल थे। इन घटनाओं ने राजस्थान की राजनीति में इन दोनों नेताओं के बीच एक स्पष्ट दूरी और तनाव को सामने लाया।