भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का महाकुंभ यात्रा, आस्था, पूजा और समृद्धि का संगम
अरैल संगम घाट पर पहुंचे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्रूज पर सवार होकर नौकायन किया और फिर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई।

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर अपने जीवन को 'धन्य' बताया। तीर्थराज प्रयाग पहुंचे उपराष्ट्रपति, अपनी पत्नी और परिवार के साथ हेलीकॉप्टर से यात्रा कर रहे थे, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हेलीपैड पर उनका स्वागत किया। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि महाकुंभ की भव्यता और योगी सरकार की तैयारियों पर भी प्रकाश डाला।
नौकायन और आस्था की पवित्र डुबकी
अरैल संगम घाट पर पहुंचे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्रूज पर सवार होकर नौकायन किया और फिर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। इस अवसर पर स्वस्ति वाचन की गूंज में उन्होंने शिवलिंग पर सिर रखकर आस्था का परिचय दिया। इस दौरान, साइबेरियन पक्षियों को देख वे उत्साहित हो गए, जो महाकुंभ के सौंदर्य में चार चांद लगा रहे थे।
पूजा-अर्चना और जीवन के पवित्र क्षण
स्नान के बाद उपराष्ट्रपति ने विधिवत पूजा-अर्चना की। उन्होंने सरस्वती कूप, अक्षय वट और बड़े हनुमान मंदिर में जाकर पूजा की और महाबली हनुमान को रोली, वस्त्र, जनेऊ, सिंदूर, माला, धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित किए। इसके साथ ही, उन्होंने परिक्रमा भी की और इन स्थानों के महात्म्य को समझने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ से संवाद किया।
महाकुंभ की भव्यता पर संतोष
धनखड़ ने महाकुंभ को एक अभूतपूर्व आयोजन करार देते हुए कहा कि उन्होंने इतना भव्य और सुव्यवस्थित महासमागम अपनी जिंदगी में नहीं देखा। उन्होंने अपने शब्दों में इसे "जीवन धन्य करने वाला क्षण" बताया। इस यात्रा से महाकुंभ की तैयारियों पर उनका सुखद अनुभव सामने आया, जिससे उन्होंने योगी सरकार की सराहना की।
महाकुंभ का आस्था और संस्कृति के संगम का प्रतीक
इस यात्रा से यह साफ़ हो गया कि महाकुंभ सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का महासमागम है। उपराष्ट्रपति धनखड़ का यह आस्था से भरपूर दौरा, एक प्रतीक है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को किस तरह से संगठित और भव्य रूप से संरक्षित किया जा रहा है।
जगदीप धनखड़ की महाकुंभ यात्रा
जगदीप धनखड़ की महाकुंभ यात्रा ने एक बार फिर साबित किया कि भारतीय संस्कृति की जड़ों में गहरी आस्था और सम्मान है। महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक समागम है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक गौरव का प्रदर्शन भी है, जिसे दुनिया भर में देखा और सराहा जा रहा है।