झुंझुनूं के गांव में वसुंधरा राजे की वो मुलाकात, जिसे गांववाले आज भी नहीं भूले
Vasundhra Raje Village Story: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की एक अनकही कहानी, जब उन्होंने झुंझुनूं के एक छोटे गांव में बिना प्रोटोकॉल के बुजुर्ग महिला के घर जाकर पी चाय और जीता सबका दिल।

राजनीति में बड़े-बड़े भाषणों, मंचों और घोषणाओं से नेता चर्चा में रहते हैं। लेकिन कभी-कभी किसी नेता का असली चेहरा तब सामने आता है, जब वह कैमरे की नजरों से दूर, आम लोगों के बीच सादगी से पेश आता है। वसुंधरा राजे की एक ऐसी ही कहानी आज भी राजस्थान के झुंझुनूं जिले के एक छोटे से गांव बास-बड़ोदा में लोग दिल से सुनाते हैं क्योंकि वो एक “मुख्यमंत्री” नहीं, बल्कि “वसु” बनकर वहां पहुंची थीं।
जब वसुंधरा अचानक पहुंची थी गांव
यह बात है 2005 की। वसुंधरा उस वक्त राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं और एक औचक दौरे पर शेखावाटी क्षेत्र के विकास कार्यों का निरीक्षण कर रही थीं। तय कार्यक्रम में बास-बड़ोदा गांव शामिल नहीं था, लेकिन अचानक उनके काफिले को गांव की एक बुजुर्ग महिला बदामा देवी ने रास्ते में रोक लिया। हाथ जोड़ते हुए बोली, “रानी साहेब, एक बार हमारे गांव भी आ जाओ, आपकी बहुत बातें सुनी हैं।”
सुरक्षा कर्मियों और अफसरों ने उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन वसुंधरा गाड़ी से खुद बाहर निकलीं और मुस्कराकर बोलीं, “चलिए अम्मा, आज चाय आपके हाथ की पिएंगे।”
गांव वालों के लिए यह किसी सपने जैसा था। बिना किसी प्रोटोकॉल के वसुंधरा गांव की गलियों में घूमीं, बच्चों के साथ बातें कीं, और बदामा देवी के घर पर बैठकर मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पी। चाय पीते हुए उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “आप सबके आशीर्वाद से ही ये कुर्सी है, अगर आपकी ज़िंदगी आसान नहीं हुई तो इस कुर्सी का क्या मतलब।”
सोशल मीडिया से दूर था ये दौरा
इसके बाद उन्होंने उसी गांव के स्कूल के लिए कंप्यूटर लैब और सौर ऊर्जा लाइट की स्वीकृति दे दी। दिलचस्प बात ये रही कि इस दौरे की कोई तस्वीर ना खींची गई, ना ही कोई सरकारी विज्ञप्ति जारी हुई। लेकिन गांव वालों के लिए वह एक ऐतिहासिक दिन था, जब 'सरकार' उनके आंगन में बैठी थी।
आज भी गांव में जब किसी बुजुर्ग से यह किस्सा पूछा जाए, तो वे गर्व से कहते हैं, “राजे तो हमारी बेटी जैसी है, जो बिना बुलाए आ गई और बिना दिखावे के दिल जीत गई।”