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वसुंधरा राजे ने उठाया पेयजल का मुद्दा, फिर CM भजनलाल ने की गंभीर मीटिंग, अब हुआ सस्पेंशन, जानिए पूरी बात, विस्तार में...

राजस्थान के झालावाड़ जिले में बढ़ते पानी के संकट और जल जीवन मिशन में अधिकारियों की लापरवाही पर आखिरकार सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।

वसुंधरा राजे ने उठाया पेयजल का मुद्दा, फिर CM भजनलाल ने की गंभीर मीटिंग, अब हुआ सस्पेंशन, जानिए पूरी बात, विस्तार में...

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने पेय जल की तकलीफ को लेकर सार्वजनिक रुप से नाराजगी जाहिर की। जिसपर पूरे प्रदेश में पेय जल का मामला गर्म हो गया है। राजस्थान में पीने के पानी की समस्या बीते कुछ दिनों से चर्चा में भी रही। तो जब वसुंधरा राजे ने इस समस्या को सार्वजनिक तौर पर जाहिर किया, तो राजनैतिक माहौल गर्म हो गया। सिर्फ ये नहीं, तमाम बड़े नेताओं के भी रिएक्शन सामने आए। क्या है पूरा मामला, कैसे पूर्व सीएस की बात के बाद एक्टिव हुआ प्रशासन, जानिए...

पूर्व सीएम ने पेयजल की समस्या पर कसा तंज

राजस्थान के झालावाड़ जिले में बढ़ते पानी के संकट और जल जीवन मिशन में अधिकारियों की लापरवाही पर आखिरकार सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालावाड़ जिले के रायपुर कस्बे के दौरे पर पहुंचीं थी। जहां पर उन्होंने जल जीवन मिशन और जलदाय विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई। ग्रामीणों ने उन्हें बताया था कि पेयजल संकट है। इस पर राजे ने अधिकारियों को फटकार लगाई। सोशल मीडिया पर भी इस मसले पर काफी गर्मा-गर्मी हुई। उन्होंने कहा था कि क्या जनता को प्यास नहीं लगती, सिर्फ अधिकारियों को लगती है।

वसुंधरा की फटकार के बाद एक्शन में आई भजनलाल सरकार

वसुंधरा राजे द्वारा अधिकारियों को फटकार लगाने के बाद सरकार एक्शन में आई। वसुंधरा राजे के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने राजस्थान सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है, जिससे पेयजल संकट के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट हो सके। पूर्व सीएम राजे ने हाल ही में ट्वीट करते हुए लिखा था कि क्या जनता को प्यास नहीं लगती? सिर्फ अफसरों को ही लगती है? पानी कागजों में नहीं, लोगों के होठों तक पहुंचे। अफसर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। उन्होंने यह भी सवाल किया कि 42 हजार करोड़ की योजना में झालावाड़ के हिस्से की राशि कहां खर्च हुई?

इसके बाद जलदाय विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि झालावाड़ जिले में जल जीवन मिशन के कामों की प्रगति असंतोषजनक पाई गई। अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचा, समीक्षा और मॉनिटरिंग में ढिलाई बरती गई और समय पर टेंडर आमंत्रित नहीं किए गए, जिससे जिले में जल संकट गहरा गया। इसके मद्देनज़र अधीक्षण अभियंता दीपक झा को उनके पद से हटाकर चीफ इंजीनियर और अतिरिक्त सचिव कार्यालय में एपीओ कर दिया गया है। वसुंधरा राजे द्वारा जलदाय विभाग के अफसरों पर टिप्पणी के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी सक्रिय हुए। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि झालावाड़ के पानी संकट पर वसुंधरा जी की चिंता को गंभीरता से लिया गया है और इस संबंध में राज्य सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की गई है।

सीएम भजनलाल ने की थी बैठक

इस मामले के सामने आने के बाद सीएम भजनलाल ने तमाम अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने आगे प्रदेश में इस तरह के मामले न हो, इस पर भी बात की थी। जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी मामले को गंभीरता से लिया और जलदाय मंत्री व एसीएस सहित आला अफसरों के साथ बैठक कर जल संकट को लेकर सख्त निर्देश दिए। समीक्षा में सामने आया कि जल जीवन मिशन के तहत जिले में योजनाओं की क्रियान्विति में ढिलाई बरती गई थी।