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शिक्षा मंत्री के नए फैसले से शिक्षकों में खलबली, छात्र फेल हुए तो मास्टर साहब होंगे जिम्मेदार

Rajasthan Politics : शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि राजकीय विद्यालयों में प्रैक्टिकल में छात्रों को पूरे अंक दिए जाते हैं, लेकिन थ्योरी में न्यूनतम 50% अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

शिक्षा मंत्री के नए फैसले से शिक्षकों में खलबली, छात्र फेल हुए तो मास्टर साहब होंगे जिम्मेदार

Rajasthan Politics : राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के हालिया फैसलों ने शिक्षकों के बीच खलबली मचा दी है। बोर्ड परीक्षाओं और REET परीक्षा में कड़े सुरक्षा प्रावधान लागू करने के बाद अब शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों के प्रदर्शन पर सीधे सवाल उठाने वाला कदम उठाया है। उनके इस फैसले के तहत, अगर छात्र थ्योरी में 50% अंक नहीं ला पाते हैं, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी शिक्षकों पर डाली जाएगी।

थ्योरी में 50% अंक लाना अनिवार्य

शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि राजकीय विद्यालयों में प्रैक्टिकल में छात्रों को पूरे अंक दिए जाते हैं, लेकिन थ्योरी में न्यूनतम 50% अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। यदि छात्र इसमें असफल रहते हैं, तो शिक्षकों का मूल्यांकन किया जाएगा। हालांकि, छात्रों को पास कर दिया जाएगा, लेकिन शिक्षकों को उनकी असफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

शिक्षकों की भूमिका पर उठे सवाल

शिक्षा मंत्री के इस कदम ने शिक्षकों की कार्यशैली और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षकों का कहना है कि केवल उन्हें ही दोष देना उचित नहीं है, क्योंकि छात्रों की सफलता और असफलता में कई अन्य कारक भी शामिल होते हैं, जैसे छात्रों की उपस्थिति, पारिवारिक पृष्ठभूमि और स्कूल में उपलब्ध संसाधन।

कक्षा में मोबाइल और छुट्टियों पर नई पाबंदियां

इसके अलावा, मदन दिलावर ने यह भी निर्देश दिया है कि कक्षा में मोबाइल का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही, धार्मिक पूजा-पाठ के लिए स्कूल समय में छुट्टियां लेने पर भी रोक लगा दी गई है। इन नए नियमों का उद्देश्य शिक्षण व्यवस्था को बेहतर और अनुशासित बनाना है।

शिक्षकों में असंतोष और विरोध के आसार

शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय केवल दबाव बढ़ाने का काम करेगा। उनका तर्क है कि परीक्षा के प्रदर्शन पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली एकतरफा है और इससे शिक्षकों का मनोबल गिर सकता है।

एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा, "छात्रों की पढ़ाई में सुधार के लिए कई अन्य पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन शिक्षकों को हर समस्या का जिम्मेदार ठहराना अनुचित है।"

क्या ये फैसला शिक्षण में सुधार लाएगा?

मदन दिलावर के इस फैसले को जहां कुछ लोग शिक्षण व्यवस्था में सुधार की दिशा में कदम मानते हैं, वहीं कई इसे शिक्षकों के प्रति अन्यायपूर्ण करार दे रहे हैं। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और शिक्षकों के बीच इस मुद्दे पर संवाद कैसे आगे बढ़ता है।