वक़्फ़ संशोधन बिल पर सचिन पायलट का तंज, बोले 'बिल लाने का मकसद देश को मंदिर-मस्जिद के नाम पर बांटना'
वक़्फ़ संशोधन बिल को लेक तमाम नेता बयान दे रहे हैं। इसमें कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट भी शामिल हैं। उन्होंने रविवार को कहा कि कांग्रेस ने संसद में अपना रुख बहुत स्पष्ट कर दिया और विपक्ष इसका विरोध करने में एकजुट है। सचिन पायलट ने कहा कि ‘‘महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि इस विधेयक को संसद में किस कारण से लाया गया?

देश में इस समय वक़्फ़ संशोधन बिल को लेकर बयानबाजी जारी है। इसी बीच राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इसको लेकर बयान दे दिया है। जिसपर घमासान मचा हुआ है। उन्होंने संसद में इस बिल के लाने पर सवाल उठाया है और सरकार पर तंज कसा है। क्या है पूरी बात...जानिए
सचिन पायलट ने वक़्फ़ संशोधन बिल को लेकर क्या है
वक़्फ़ संशोधन बिल को लेक तमाम नेता बयान दे रहे हैं। इसमें कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट भी शामिल हैं। उन्होंने रविवार को कहा कि कांग्रेस ने संसद में अपना रुख बहुत स्पष्ट कर दिया और विपक्ष इसका विरोध करने में एकजुट है। सचिन पायलट ने कहा कि ‘‘महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि इस विधेयक को संसद में किस कारण से लाया गया? इस विधेयक को लाने के पीछे जो इरादा था, वो वो नहीं है जो दावा किया गया। यदि गैर-अनुपालन या विसंगतियों की कुछ अलग-अलग घटनाएं हुई थीं, जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता थी, तो उन्हें ठीक किया जा सकता था। लेकिन जिस तरह से विधेयक लाया गया, वो भी इतनी जल्दबाजी में, राजनीतिक दलों, हितधारकों, सामुदायिक नेताओं सहित सभी पक्षों के भारी विरोध के बावजूद, इसका उद्देश्य इस देश में हिंदू और मुस्लिम तथा मंदिर और मस्जिद के बारे में एक और बहस शुरू करना, देश को विभाजित करना और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना है।''
सचिन पायलट ने सरकार पर कसा तंज, बोले सब भगवान भरोसे
सचिन पायलट ने आगे अपनी बातचीत में कहा कि मणिपुर, बेरोजगारी, खाद्य मूल्य महंगाई, चीनी घुसपैठ जैसे वास्तविक मुद्दों को स्वीकार करने और हल करने से बचना तथा अपने राजनीतिक और चुनावी एजेंडे के अनुरूप देश का ध्यान अत्यधिक विवादास्पद और ध्रुवीकरण वाले मुद्दों की ओर मोड़ना भाजपा की पुरानी चाल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान सिर्फ फोटो खिंचवाने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के बजाय रचनात्मक समाधान निकालना चाहिए था। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व अमेरिका द्वारा लगाए गए ‘जवाबी शुल्क' पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है, भारत सरकार केवल समय व्यतीत कर रही है और सब कुछ भाग्य पर छोड़ रही है। मैं समझता हूं कि जब प्रधानमंत्री वाशिंगटन में थे (फरवरी में) और उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी, तो सिर्फ फोटो खिंचवाने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के बजाय, कुछ और रचनात्मक बात निकलकर सामने आनी चाहिए थी।
सचिन पायलट ने आगे कहा कि अगर हमारे संबंध उतने ही मजबूत होते, जितना दोनों नेता दावा कर रहे हैं, तो हमें इन भारी शुल्कों का सामना नहीं करना पड़ता। स्पष्ट रूप से हमारे निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा। विनिर्माण क्षेत्र गिरावट की ओर है। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) को झटका लगेगा। छंटनी और नौकरी छूटने के कारण अर्थव्यवस्था को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा, लेकिन दुर्भाग्यवश हमने इस स्थिति से निपटने के लिए कोई समुचित कदम नहीं उठाए या कोई संकेत भी नहीं है कि कैसे इस संकट से निकलेंगे।