राजस्थान का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व भी पड़ गया छोटा, रणथंभौर में बाघों की मौत ने बढ़ाई टेंशन !
राजस्थान स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में बढ़ती बाघों की मौतों की स्थिति चिंताजनक है। एक्सपर्ट्स ने इन घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए बाघ सरक्षंण के प्रयासों के बारे में बताया। पढ़ें पूरी खबर।

राजस्थान स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों पर्यटक बागों के साथ रिजर्व सफारी का मजा लेने यहां आते हैं लेकिन बीते कुछ सालों में यहां बागों की मृत्यू के मामले भी सामने आये हैं। आंकड़ों की मानें तो जनवरी 2023 से जनवरी 2024 तक रणथंबौर में 16 बागों की मौत हुईं। जिसका मुख्य कारण टेरिटोरियल फाइट्स बताई गई। ऐसे में कई वन्यजीवियों ने लगातार हो रही मौतों को लेकर वन विभाग पर सवाल खड़े किये हैं।
क्या होती है टेरिटोरियल फाइट्स ?
एक्सपर्ट्स की मानें तो टेरिटोरियल फाइट्स वो लड़ाई होती हैं जब असुंतलन के कारण नर और मादा बाघ आमने-सामने आ जाते हैं। इन लड़ाइयों में कमजोर बाघ अक्सर जान गवां देते हैं। वन्य जीव विशेषज्ञ मानते हैं सरकार को नए घास के मैदान विकसित करने चाहिए। नए घास के मैदान बनने से वहां अन्य वन्यजीव आकर्षित होंगे। इससे बाघों के लिए क्षेत्र बढ़ेगा और आपसी संघर्ष कम होगा।
अवैध खनन से बढ़ीं मुश्किलें
रणथंभौर नेशनल पार्क भले राजस्थान का सबसे बड़े टाइगर रिजर्व पार्क हो लेकिन असलियत में ये छोटा पड़ा गया है। इसके पीछे कारण केवल बाघों की बढ़ती संख्या नहीं है। बल्कि यहां पर होने वाला अवैध खनन है। वन विभाग कई बार कह चुका है यह पार्क क्षेत्रफल के हिसाब से बाघों की इस संख्या के लिए उपयुक्त है लेकिन खनन वाले इलाकों ने बाघों का जीवन प्रभावित किया है। रणथंभौर के 30 फीसदी बाघ खनन वाले इलाकों में विचरण करते हैं, इन इलाकों में पिछले सालों के मुकाबले अवैध खनन तीन गुना बढ़ गया है।
जंगल छोड़ रिहायशी इलाकों में बाघ
खनन के कारण धीरे-धीरे बाघ अब घनी आबादी के रूख कर रहे हैं। जिसकी गवाही आंकड़े दे रहे हैं। बीते साल वन्यजीवों द्वारा लोगों पर लगभग 100 से ज्यादा हमले किये गए। जिनमें 70 लोग घायल हुए। ज्यादातर लोग गोंदुआ, पैंथर और तेंदुए का शिकार हुए। इन हमलों में 7 लोगों ने जान गंवाई तो सवाईमाधोपुर, राजसमंद में वन्यजीवों के हमले में 5 लोग जान गंवा बैठे। बहरहाल, रणथंभौर नेशनल पार्क वन्य जीवों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। दो सालों के भीतर 16 बाघों की मौत का आंकड़ा वाकई चिंताजनक है। ऐसे में सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने की जरूरत है।