'#भीलवाड़ा_SP_बर्खास्त_करो', सोशल मीडिया पर ट्रेंड, दलितों से जुड़ा मामला जानकर दंग रह गए लोग, पुलिस पर लगे गंभीर आरोप
भील समाज के तीन युवकों को बिजोलिया थाना पुलिस ने 12 फरवरी को हिरासत में लिया और उनके साथ थाने के परिसर में अमानवीय हरकतें की। युवकों का आरोप है कि पुलिस पर उनके प्राइवेट पार्ट के आसपास के बालों को उखाड़ दिया। युवकों के इस आरोप ने सभी को हैरान कर दिया।

#भीलवाड़ा_SP_बर्खास्त_करो....सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। लोगों ने पीएम मोदी से लेकर सीएम भजनलाल तक तमाम आला नेताओं के टैग करके ट्वीट पर ट्वीट किए। जिसके बाद ये मुद्दा चर्चा में आ गया है। पुलिस वालों से जुड़ा ये मामला जिसने भी सुना, उसने बर्खास्त करने की मांग की। क्या है पूरा मामला, आइए आपको बताते हैं...
क्या है मामला
मौजूदा समय में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की बिजोलिया थाना पुलिस इन दिनों गंभीर आरोप लगने के कारण विवाद में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस द्वारा दलित युवकों को बिना वजह हिरासत में रखने और उनके कपड़े उतरवाकर मारपीट करने से जुड़ा हुआ है। हालांकि, एसएचओ लोकपाल सिंह ने इन पूरी बात को गलत करार दिया है। उनका कहना है कि हमने तीनों युवकों को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हमने तीनों आरोपियों का मेडिकल भी कराया। इसके सभी दस्तावेज मौजूद हैं, मारपीट के आरोप गलत हैं।
घिनौनी वारदात की भी लगा आरोप
मामले में हैरान कर देने वाली बात भी सामने आई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भील समाज के तीन युवकों को बिजोलिया थाना पुलिस ने 12 फरवरी को हिरासत में लिया और उनके साथ थाने के परिसर में अमानवीय हरकतें की। युवकों का आरोप है कि पुलिस पर उनके प्राइवेट पार्ट के आसपास के बालों को उखाड़ दिया। युवकों के इस आरोप ने सभी को हैरान कर दिया। पुलिस अफसरों द्वारा इस तरह की अमानवीय हरकत की उम्मीद नहीं होती है। हालांकि, एसएचओ ने इस बात से इंकार किया है।
सोशल मीडिया पर छाया मुद्दा
भीलवाड़ा का ये पूरा मामला इस समय सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। भीलवाड़ा एसपी को बर्खास्त करने की मांग की जा रही है। साथ ही मारपीट और मानवीय कृत के आरोपी के बीच दलित संगठनों ने 18 फरवरी को उपखंड कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया है। मगर मामले में अब तक कोई जांच नहीं हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले की जानकारी मिलने के बाद कुछ दलित संगठनों ने पीड़ित युवकों के साथ 18 फरवरी को एसडीएम कार्यालय बिजोलिया पर प्रदर्शन किया। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग करते हुए पीड़ित तीनों युवकों के साथ प्रतिनिधिमंडल ने उपखंड अधिकारी मजिस्ट्रेट से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा। हालांकि एक पखवाड़े बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में पीड़ित दलित युवकों के पक्ष में आए दलित संगठनों ने भी अचानक चुपी साध ली है, जिससे ये मामला और तूल पकड़ रहा है।