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Rajasthan में शिक्षा पर संकट ! लाखों बच्चों ने छोड़ा स्कूल, चौंका देंगे शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हर साल स्कूल ड्रॉपआउट करने वाले छात्रों का आंकड़ा जारी किया है। जहां सबसे खराब हालत राजस्थान की है। ऐसे में जानें ड्रॉपआउट क्या होता है और इसके पीछे कारण क्या है। 

Rajasthan में शिक्षा पर संकट ! लाखों बच्चों ने छोड़ा स्कूल, चौंका देंगे शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े

आज 2024 का आखिरी दिन है। ये वर्ष खट्टी-मीठी यादों के साथ विदा होने की दहलीज पर खड़ा है। हर कोई नये साल की जश्न की तैयार कर रहा है। नववर्ष को लेकर हर इंसान के अपने अलग ख्वाब हैं लेकिन साल जाते-जात कुछ ऐसे आंकड़े भी छोड़ता जा रहा है जो गंभीर सवाल खड़े करते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं कि बीते कुछ सालों में कितने बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हुए। जब आप भी आंकड़े जानेंगे तो होश उड़ जायेगे। सबसे बुरा हाल तो राजस्थान का रहा। जहां 2023-24 के बीच राज्य के 10% छात्रों ने अपनी पढ़ाई पूरी किए बिना ही स्कूल छोड़ दिया। जबकि 2023- 24 में कक्षा 9वीं से 12वीं तक ड्रॉप आउट कुल 9.4% फीसदी रहा। जबकि कक्षा 3वीं से 5वीं के स्तर पर कुल 7.1% और कक्षा 6वीं से 8वीं के स्तर पर कुल 6.8% फीसदी है। बता दें, ये रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जारी की है। 

देश में राजस्थान के सबसे बुरे हालात 

शिक्षा मंत्रालय के आंकड़े गवाही दे रहे है स्कूल छोड़ने के मामले में सबसे पहला नंबर राजस्थान का है। राष्ट्रीय औसत यानी पूरे भारत की बात करें तो कक्षा 3वीं से 5वीं के स्तर पर कुल 3.7% और कक्षा 6वीं से 8वीं के स्तर पर कुल 5.2% है। राजस्थान में स्थितियां नेशनल एवरेज के मुकाबले ज्यादा गंभीर हैं। हालांकि कक्षा 9वीं से 12वीं तक राष्ट्रीय औसत कुल 10.9% है, जो राजस्थान से ज्यादा है। भले ये आंकड़े सुनने में कम लगे लेकिन प्रदेश में स्टूडेंट्स की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है। जाहिर सी बात है स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या भी लाखों में है। 

आखिर क्या होता है ड्रॉपआउट

स्कूल या फिर कॉलेज जाने वाले बच्चों के मुहं से आप ड्रॉपआउट शब्द कई बार सुना होगा। जिसका अर्थ उन विद्यार्थियों से होता है, जो समय से पहले यानी पढ़ाई पूरी करने से पहले स्कूल छोड़ देते हैं। हर साल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय आंकड़ा इकट्ठा करता है ताकि बच्चों को शिक्षा मिल सकें।