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जो करिश्मा पायलट किरोड़ी नहीं कर सके,क्या बेनीवाल अब नया तूफान खड़ा करेंगे? जानें सच

राजस्थान की राजनीति में हनुमान बेनीवाल और सचिन पायलट के बीच तीखी बयानबाज़ी ने नया मोड़ ले लिया है। बेनीवाल के "एसी" वाले तंज के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है। 

जो करिश्मा पायलट  किरोड़ी नहीं कर सके,क्या बेनीवाल अब नया तूफान खड़ा करेंगे? जानें सच

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हनुमान बेनीवाल एक्टिव हो गए हैं। बीते दिनों उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भजनलाल शर्मा के साथ सचिन पायलट को निशाने पर लिया और कहा, पायलट साहब बिना एसी के बाहर नहीं जाते हैं। उन्हें गर्मी ज्यादा लगती है। उनका ये बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह वायरल हो गया। जिस पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस नेता सुनील ओसापा ने ट्वीट करते हुए कहा, शायद नागौर सांसद ये भूल गए हैं, सचिन पायलट वहीं है जिन्होंने जनता की आवाज उठाने के लिए लाठियां खाई हैं। भर्दी सर्दी में पानी की बौछारें झेली है। 45 डिग्री तापमान के बीच अजमेर से जयपुर की पैदल यात्रा की है। 

 बेनीवाल ने दिया था पायलट को ऑफर

हनुमान बेनीवाल राजस्थान के युवाओं के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं। साल दर साल उनकी गठबंठन पार्टी बदलती रही है। पहले कांग्रेस फिर बीजेपी, फिर कांग्रेस। हालांकि एक वक्त ऐसा भी था, जब नागौर सांसद ने हनुमान बेनीवाल ने पायलट और किरोड़ी बाबा को साथ आने का ऑफर दिया था। बेनीवाल ने कहा था, अगर ये दोनों नेता साथ आ जाते हैं तो वह राजस्थान में कांग्रेस की बखिया उधेड़ देंगे। हालांकि वो बात अलग है, बाबा-पायलट में किसी ने भी बेनीवाल के इस ऑफर में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। बता दें, हनुमान बेनीवाल बातें तो बड़ी-बड़ी करते हो लेकिन मौजूदा वक्त में राजस्थान विधानसभा में उनकी पार्टी का कोई भी नेता नहीं है। यहां तक खींवसर सीट पर भी बीजेपी ने बेनीवाल का गण ढहा दिया था। 

क्या करने के मूड में हनुमान बेनीवाल ?

राजनीतिक पंडित मानते हैं, हनुमान बेनीवाल कही न कही अब प्रदेश की राजनीति में कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं। एक तरफ बीजेपी उनके खिलाफ हो गई है तो वही अहमदाबाद अधिवेशन में कांग्रेस एकला चलो का संदेश दे चुकी है। हालांकि अभी तक हनुमान बेनीवाल ने कोई भी चुनाव अकेले नहीं लड़ा है। ऐसे में वह 2028 के लिए जमीनीं स्तर पर पकड़ मजबूत कर रहे हैं। खैर, देखना होगा जिस एसआई भर्ती परीक्षा पर बाबा किरोड़ी लाल अपनी सरकार के सामने खड़े हो गए थे हालांकि अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए। ऐसे में क्या बेनीवाल इस मुद्दे को उछाल कर राजनीति चमकाने के साथ छात्रों के मसीहा भी बन पाएंगे तो ये देखने वाली बात होगी।