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Rajasthan में सबसे सख्त धर्म परिवर्तन कानून, वसुंधरा से एक कदम आगे क्यों निकले भजनलाल? क्या है इसकी सियासी वजह…

2024 में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर में दो बड़े धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए। इससे राजस्थान की राजनीति गरमा गई, और सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा।

Rajasthan में सबसे सख्त धर्म परिवर्तन कानून, वसुंधरा से एक कदम आगे क्यों निकले भजनलाल? क्या है इसकी सियासी वजह…

राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार ने धर्म परिवर्तन और लव जिहाद रोकने के लिए एक नया और सख्त कानून विधानसभा में पेश किया है। इस कानून को वसुंधरा राजे सरकार के 2008 वाले बिल से भी ज्यादा कठोर माना जा रहा है। सवाल उठता है कि आखिर भजनलाल सरकार ने इतनी सख्ती क्यों दिखाई? क्या इसके पीछे सियासी रणनीति छिपी है, या हालात ने सरकार को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया? आइए जानते हैं...

गुजरात-मध्य प्रदेश की तर्ज पर सख्त कानून

राजस्थान से सटे गुजरात और मध्य प्रदेश में पहले से ही कड़े धर्म परिवर्तन कानून लागू हैं।

  • गुजरात में धर्मांतरण पर 4-7 साल की सजा का प्रावधान है।
  • मध्य प्रदेश में ये 5-10 साल की सजा तक बढ़ाया गया है।

इन दोनों राज्यों में 2021 में ये कानून बनाए गए, और दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं। ऐसे में राजस्थान में भी बीजेपी सरकार ने कानून को और कड़ा कर दिया, ताकि वो पड़ोसी राज्यों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके और राजनीतिक दबाव का सामना न करना पड़े।

हाल के घटनाक्रम से बढ़ा दबाव

2024 में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर में दो बड़े धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए। इससे राजस्थान की राजनीति गरमा गई, और सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा।

  • इससे पहले 2020 में जयपुर में 7 महिला संगठनों ने लव जिहाद के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक 2016 से 2020 तक राजस्थान में लव जिहाद के 153 मामले सामने आए।
  • बीजेपी ने उस समय विपक्ष में रहते हुए इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था, और अब सरकार में आने के बाद उसने इसे ठोस कानूनी रूप देने की कोशिश की।

सियासी मजबूरियां और आंतरिक कलह

राजस्थान में भजनलाल सरकार शुरू से ही बैकफुट पर नजर आ रही थी।

  • किरोड़ी लाल मीणा जैसे बड़े नेता सरकार पर लगातार दबाव बना रहे थे।
  • पार्टी के अंदर गुटबाजी भी चरम पर थी।
  • बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे।

ऐसे में सरकार ने "हार्ड हिंदुत्व" के मुद्दे को मजबूती से उठाने की रणनीति बनाई, जिससे पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को भी शांत किया जा सके और हिंदू वोटबैंक को साधा जा सके।

क्या है नया कानून और क्यों है सख्त?

वसुंधरा सरकार के 2008 वाले बिल में धर्मांतरण पर सजा का प्रावधान था, लेकिन भजनलाल सरकार ने इसे संज्ञेय अपराध बना दिया।

  • पहले: दोषी को 1-3 साल की सजा और ₹25,000 जुर्माना था।
  • अब: धर्मांतरण गैर-जमानती अपराध होगा, दोषी को 5 साल की सजा और ₹1 लाख जुर्माना।

दलित, आदिवासी और नाबालिगों के धर्म परिवर्तन पर सजा:

  • पहले: 5 साल की सजा और ₹50,000 जुर्माना।
  • अब: 10 साल की सजा और ₹2 लाख जुर्माना।

आरोपी को खुद साबित करना होगा कि वो निर्दोष है। ये प्रावधान इसे सबसे कठोर धर्म परिवर्तन कानूनों में से एक बनाता है।

वसुंधरा से भी आगे निकल गए भजनलाल

  • भजनलाल शर्मा ने वसुंधरा सरकार के कानून को और सख्त करके एक सियासी संदेश भी दिया है।
  • बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे को मजबूती देना
  • गुजरात-मध्य प्रदेश की तर्ज पर कानून बनाकर खुद को मजबूत करना
  • आंतरिक कलह और विपक्ष के हमलों का जवाब देना
  • 2024 के लोकसभा चुनाव और 2028 के विधानसभा चुनाव की रणनीति