2024 में बच्चों ने Kota से बनाई दूरी ! ओम बिरला बोले- लोगों को हुई गलतफहमी...
कोटा में छात्र आत्महत्या और लगातार घट रही बच्चों की संख्या पर लोकसभा स्पीकर और सांसद ओम बिरला ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की वह पढ़ने की बच्चों को कोटा जरूर भेजें।

राजस्थान स्थित कोटा नीटा-जेईई जैसी परीक्षाओं के लिए एजुकेशन हब है। यहां हर साल लाखों बच्चे पढ़ने आते हैं। हालांकि बीत कुछ सालों को कोटा में बच्चों के सुसाइड किये जाने के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही थी। आंकड़ों के अनुसार 2023 में यहां 26 स्टूडेंट्स ने पढ़ाई के प्रेशर के कारण मौत को गले लगा लिया। हालांकि पुलिस और प्रशासन दोनों की मेहनत रंग लाई और 2024 में केसों में लगभग 37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बीते साल कोटा में सुसाइड के 16 मामले सामने आये। इसी बीच कोटा सांसद और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कोटा के निकले बच्चे देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। कुछ समय पहले यहां का वातवरण खराब करने की कोशिश की गई थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है।
कोटा में कोचिंग के लिए बच्चों को भेजें, कोई दिक्कत नहीं है, ग़लतफ़हमियों की वजह गलत मैसेज गया है: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला pic.twitter.com/UAvTQ5Dspu
— LP Pant (@pantlp) January 2, 2025
'कोटा की छवि खराब करने की कोशिश'
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा,लोगों को कहता है कोटा का माहौल-वातावरण सही नहीं है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यहां से निकले बच्चे दुनिया में नाम कमा रहे हैं। मेरा मानना है हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, ऐसे में अपने बच्चे को कोटा जरूर भेजे। यहां पर उसे न केवल अच्छी पढ़ाई बल्कि अच्छे संस्कार भी मिलेंगे।
कोटा सुसाइड केस में आई कमी
2023 के मुकाबले 2024 में कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामलों में कमी आई है। इसके लिए प्रशासन कई अभियान भी चला रहा है। जिसमें डिनर विद कलेक्टर और संवाद जैसे आयोजन प्रमुख है। इन अभियानों के जरिए लगभग पच्चीस हजार से ज्यादा छात्रों से संवाद कर उनकी बातों को समझने का प्रयास किया गया। इससे इतर लगातर कोटा में सामने आ रहे सुसाइड केस के कारण अभिभावकों और बच्चों में नकारात्मक छवि बनकर तैयार हो गई थी। जिसका असर कोटा की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिला। कोटा में 2024 में छात्रों की संख्या 90 हजार के आसपास रह गई है जो दो साल पहले तक दो-ढाई लाख के करीब हुआ करती थी। ऐसे में सरकार और प्रशासन बच्चों में कोटा के लिए सकारात्मक छवि बनाने का लगातार प्रयास कर रहा है।