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क्या आप जानते हैं राजस्थान का पुराना नाम क्या था और क्यों 30 मार्च को मनाया जाता है 'राजस्थान दिवस'!

देश की आजादी से पहले राजस्थान को 'राजपूताना' के नाम से जाना जाता था। इतिहासकारों का मानना है कि जार्ज थॉमस ने साल 1800 में राजस्थान को 'राजपूताना' नाम दिया था। वर्तामान समय से ठीक 75 साल पहले साल 1949 में राजस्थान भारत का हिस्सा बना था। उससे

क्या आप जानते हैं राजस्थान का पुराना नाम क्या था और क्यों 30 मार्च को मनाया जाता है 'राजस्थान दिवस'!

राजस्थान को वीरों की भूमि कहते हैं, न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी राजस्थान को राजसी ठाठ के लिए जाना जाता है। तमाम खूबसूरत डेस्टिनेशन को संजोय भारत का ये खूबसूरत राज्य अब डेस्टिनेशन वेडिंग्स के लिए भी फेमस है। लेकिन क्या आप राजस्थान के इतिहास के बारे में जानते हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि राजस्थान का पुराना नाम क्या रहा होगा। चलिए हम आपको बताते हैं....

क्या था राजस्थान का पुराना नाम

देश की आजादी से पहले राजस्थान को 'राजपूताना' के नाम से जाना जाता था। इतिहासकारों का मानना है कि जार्ज थॉमस ने साल 1800 में राजस्थान को 'राजपूताना' नाम दिया था। वर्तामान समय से ठीक 75 साल पहले साल 1949 में राजस्थान भारत का हिस्सा बना था। उससे पहले राजस्थान में कई स्वतंत्र रियासतें हुआ करती थीं। राजस्थान में कुल 22 रियासतें हुआ करती थीं। ब्लू सिटी ऑफ इंडिया यानी कि जोधपुर रियासत उस समय में राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत हुआ करती था। अजमेर-मेरवाड़ा रियासत अंग्रेजों के अधीन थी। 

किसने बदला था नाम

राजस्थान का पुराना नाम यानी कि राजपूत अंग्रेज जार्ज थॉमस ने नाम दिया था। जब राजस्थान को राजपूताना नाम दिया गया था। उस समय राजस्थआन में राजपूत राजाओं का राज था। जिसके वजह से अंग्रेज जार्ज थॉमस ने इसे राजपूताना नाम दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आजादी के बाद जब राजस्थान की सभी रियासतों को भारत में मिलाया गया। तब से इस राज्य को राजस्थान नाम से जाना जाने लगा। तब से लेकर अब तक लोग इस राज्य को राजस्थान नाम से ही जानते हैं। माना जाता है कि राजस्थान नाम को रखने के पीछे इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि यहां बहुत से राजा और राजघराने थे।

30 मार्च को मनाया जाता है राजस्थान दिवस 

आपको बता दें, 14 जनवरी 1949 को उदयपुर की एक सार्वजनिक सभा में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर रियासतों के सैद्धांतिक रूप से विलय की घोषणा की। जिसके बाद से राजस्थान दिवस हर वर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है।