कोर्ट की अवमानना पर दो वरिष्ठ IAS अधिकारियों को 3-3 महीने की जेल, हाईकोर्ट में दी गई चुनौती
IAS officers jailed: राजस्थान में दो सीनियर IAS अधिकारियों को अदालत की अवमानना के चलते 3-3 महीने की सजा सुनाई गई है। PWD के ACS प्रवीण गुप्ता और PHED के ACS भास्कर ए सांवत पर संबंधित प्रोजेक्ट्स में बकाया भुगतान नहीं करने और कोर्ट के आदेशों की अनुपालना न करने का आरोप है। जयपुर की कॉमर्शियल कोर्ट-1 ने सख्ती दिखाते हुए दोनों अफसरों को सिविल कारावास की सजा सुनाई। दोनों ने हाईकोर्ट में सजा को चुनौती दी है। यह फैसला प्रशासनिक जवाबदेही और न्यायपालिका के अधिकारों पर महत्वपूर्ण बहस को जन्म दे रहा है।

राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में पहली बार ऐसा हुआ है जब राज्य के दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अदालत के आदेशों की अवहेलना के चलते तीन-तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। जयपुर की कॉमर्शियल कोर्ट-1 ने PWD के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) प्रवीण गुप्ता और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के एसीएस भास्कर ए सांवत को सिविल कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला दो अलग-अलग भुगतान विवादों में आया, जिनमें अधिकारियों द्वारा न्यायालय के आदेशों की अनुपालना नहीं की गई।
नागौर-मुकुंदगढ़ हाईवे का मामला बना नजीर
नागौर-मुकुंदगढ़ हाईवे प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2020-21 में सड़क निर्माण का काम समय से पहले पूरा किया था। कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, कंपनी को बोनस मिलना था, लेकिन भुगतान नहीं हुआ। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट तक जाकर आदेश हासिल किया, पर विभाग ने फिर भी राशि नहीं चुकाई। कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी से विभाग की संपत्तियों की सूची मांगी थी, ताकि उन्हें कुर्क कर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके, पर ACS प्रवीण गुप्ता ने शपथ-पत्र दाखिल नहीं किया। नतीजतन, कोर्ट ने उन्हें तीन माह की सजा सुनाई।
PHED का 31 करोड़ का मामला
दूसरा मामला PHED से जुड़ा है, जिसमें पाइपलाइन डालने के प्रोजेक्ट का करीब 31 करोड़ रुपये का भुगतान एल एंड टी कंपनी को नहीं किया गया। आर्बिट्रेटर ने एल एंड टी के पक्ष में निर्णय दिया, लेकिन PHED ने भुगतान नहीं किया। जब कोर्ट में इस पर जवाब नहीं आया और ACS भास्कर ए सांवत का शपथ-पत्र समय पर पेश नहीं हुआ, तब कोर्ट ने उन्हें भी तीन महीने की सजा सुनाई।
सिस्टम पर सवाल, न्यायपालिका की सख्ती
इन दोनों मामलों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब न्यायपालिका के आदेशों की परवाह नौकरशाही नहीं करती, तो आम आदमी की उम्मीदें कहां टिकेंगी? फिलहाल दोनों अफसरों ने हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई जल्द हो सकती है।