Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

Trending Visual Stories और देखें
विज़ुअल स्टोरी

बाड़मेर में होली पर बच्चों को छुपाकर करते हैं फिर दुआ, यहां बेहद सुंदर है रंगों के इस त्योहार का महत्व

राजस्थान के बाड़मेर में बच्चों को ढूंढने की परंपरा है। जानकारी के मुताबिक, होली के मौके पर पिछली होली के बाद जन्मे बच्चों को इस दिन ढूंढने की परंपरा निभाई जाती है। गांव-मोहल्लों के युवा और बच्चे ढोल-चंग बजाते हुए उन घरों में पहुंचते हैं, जहां पिछले साल बच्चा पैदा हुआ हो।

बाड़मेर में होली पर बच्चों को छुपाकर करते हैं फिर दुआ, यहां बेहद सुंदर है रंगों के इस त्योहार का महत्व

होली के त्योहार की हर प्रदेश में अपनी एक अलग मान्यता है। कोई होलिका दहन का अहम मानता है, तो कोई मेल-मिलाप को। लेकिन सभी का मकसद प्रेम, सदभावना और मेल-मिलाप होता है। ऐसे में राजस्थान के बाड़मेर में होली मनाने की मान्यता बेहद अलग है। साथ ही इसका अपना महत्व और तरीका भी है। क्या है ये मान्यता, कैसे मनाते हैं होली, जानिए...

बाड़मेर की होली की ये खास मान्यता

राजस्थान के बाड़मेर में बच्चों को ढूंढने की परंपरा है। जानकारी के मुताबिक, होली के मौके पर पिछली होली के बाद जन्मे बच्चों को इस दिन ढूंढने की परंपरा निभाई जाती है। गांव-मोहल्लों के युवा और बच्चे ढोल-चंग बजाते हुए उन घरों में पहुंचते हैं, जहां पिछले साल बच्चा पैदा हुआ हो। लोग नाचते-गाते हुए परिवार को शुभकामनाएं देते हैं और फाग गीत और लोक देवताओं के जयकारे लगाते हैं। इस दौरान बच्चों के स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य की दुआ भी दी जाती है।

नेग और स्समें बनाती हैं त्योहार को और भी खास

इस दौरान नेग और दुआओं की रस्में बच्चों को घर के चौक में चाचा, मामा या बड़े भाई की गोद में बैठाकर लकड़ी की डांडियों से समूह गायन किया जाता है। बच्चे के पिता से नेग और मां से नारियल व गुड़ लेने की प्रथा है। साथ ही धुलंडी के दिन बच्चों के ननिहाल और बुआ के घर से कपड़े और खिलौने सहित अन्य गिफ्त देते हैं। 

खासतौर पर सजावट और परिक्रमा महिलाएं एक साल से छोटे बच्चों को दूल्हे की तरह सजाकर विवाह रचाने का स्वांग करती हैं। बच्चे को जलती होली के इर्द-गिर्द परिक्रमा करवाया जाता है। बाड़मेर की ये खास परंपरा होली को और भी खास बना देती है। एक तरफ जहां त्योहार बदलते समय के साथ अपना महत्व खो रहे हैं। वहीं, ये त्योहार लोगों को एक बार फिर से साथ लाता है।