Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

Trending Visual Stories और देखें
विज़ुअल स्टोरी

राजस्थान में कहीं लट्ठमार, तो कहीं बारुद से होती है होली, कहीं कृष्ण जी से है रिश्ता तो कहीं का है 300 साल पुराना इतिहास

राजस्थान के फेमस शहर पुष्कर की होली की अपनी शान है। यहां पर वराह घाट चौक पर हजारों देसी-विदेशी पर्यटक एकत्र होते हैं और देसी धुनों पर गुलाल उड़ाते हैं। इस दौरान पुरुषों की टी-शर्ट फाड़ने की परंपरा होती है, जिसके कारण इसे 'कपड़ा फाड़ होली' कहा जाता है।

राजस्थान में कहीं लट्ठमार, तो कहीं बारुद से होती है होली, कहीं कृष्ण जी से है रिश्ता तो कहीं का है 300 साल पुराना इतिहास

आपने मथुरा-वृंदावन की होली के बारे में खूब सुना होगा, लेकिन क्या आप राजस्थान की होली के बारे में जानते हैं। राजस्थान में लट्ठमार होली से लेकर बारूद की होली तक होती है। बीकानेर, अजमेर की होली भी खूब फेमस है। तो चलिए आज हम आपको राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में होने वाली होली के बारे में बताते हैं...

डीग

ब्रज की लट्ठमार होली के बारे में आपने खूब सुना होगा। राजस्थान में ब्रज भूमि का हिस्सा माने जाने वाले डीग जिले के गुलाल कुंड को होली का उद्गम स्थल माना जाता है। मान्यता है कि जब कृष्ण ने अपने श्याम वर्ण को लेकर माता से प्रश्न किया, तो माता यशोदा ने उन्हें गोपियों और राधा के संग होली खेलने की सलाह दी। इसके बाद से ही यह परंपरा शुरू हुई। ये इलाका ब्रज का हिस्सा होने के कारण यहां लट्ठमार होली उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगांव की तर्ज पर खेली जाती है।

बीकानेर

राजस्थान के बीकानेर में होली का परंपरा 300 साल से ज्यादा पुरानी है। बीकानेर में डोलची मार होली खेली जाती है। इसमें पुरुष ऊंट की खाल से बनी डोलची (बर्तन) में पानी भरकर एक-दूसरे पर डालते हैं। पहले यह होली आपसी विवाद सुलझाने का एक तरीका थी, लेकिन अब यह एक रोमांचक उत्सव का रूप ले चुकी है, जिसमें गली-मोहल्लों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है।

पुष्कर

राजस्थान के फेमस शहर पुष्कर की होली की अपनी शान है। यहां पर वराह घाट चौक पर हजारों देसी-विदेशी पर्यटक एकत्र होते हैं और देसी धुनों पर गुलाल उड़ाते हैं। इस दौरान पुरुषों की टी-शर्ट फाड़ने की परंपरा होती है, जिसके कारण इसे 'कपड़ा फाड़ होली' कहा जाता है।

अजमेर और मेवाड़ 

राजस्थान के अजमेर और मेवाड़ क्षेत्र में गैर नृत्य के साथ होली मनाई जाती है। इसमें 10-12 गांवों के लोग एक स्थान पर एकत्र होकर ढोल और संगीत की धुन पर नृत्य करते हैं। यह होली सामुदायिक एकता का प्रतीक मानी जाती है। 

जयपुर

राजधानी जयपुर में फूलों की होली फेमस है। मंदिरों में विशेष रूप से फाल्गुन और होली के अवसर पर फूलों से होली खेली जाती है। श्रद्धालु गुलाब, गेंदा और अन्य फूलों की पंखुड़ियों को एक-दूसरे पर उड़ाते हैं और भगवान राधा-कृष्ण के भजनों का आनंद लेते हैं।

मेनार और मेड़ता सिटी 

उदयपुर जिले के मेनार और नागौर जिले के मेड़ता सिटी में होली एक अलग ही अंदाज में मनाई जाती है। यहां तोप और बंदूकों से बारूद के धमाकों के बीच होली खेली जाती है। ये परंपरा वीरता और शौर्य का प्रतीक मानी जाती है।