हीटवेव के ख़िलाफ़ कलर कोडेड युद्ध, जानिए राजस्थान की नई प्लानिंग
राजस्थान में इस बार भीषण गर्मी से निपटने को लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट पूरी तरह सतर्क है। कलर कोडेड अलर्ट, नोडल अधिकारी की तैनाती और अस्पतालों में ठंडी सुविधा सुनिश्चित की जा रही है।

राजस्थान की तपती रेत और आसमान से बरसती आग इस अप्रैल में लोगों की सांसें तक सुखा रही हैं। सूरज की चुभन और उमस भरे वातावरण में लू से पीड़ित होने वालों की संख्या बढ़ रही है, और ऐसे में प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग पूरी सतर्कता के साथ मैदान में उतर चुका है। इस बार गर्मी से जंग कुछ अलग अंदाज़ में लड़ी जा रही है—बिना शोर के, लेकिन पूरी तैयारी के साथ।
राज्य में पहली बार ऐसा हो रहा है जब स्वास्थ्य विभाग, मौसम विभाग से सीधे जुड़े रहकर कलर कोडेड अलर्ट के जरिए जिलों को समय-समय पर चेतावनी दे रहा है। इस कदम का मकसद सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि जान बचाना है। लाल, नारंगी, पीले और हरे रंगों में बंटे ये अलर्ट साफ संकेत देते हैं कि कहां कितनी गंभीर स्थिति है और कितनी फुर्ती से प्रतिक्रिया दी जानी चाहिए।
हीटवेव मैनेजमेंट के लिए डॉ. नरोत्तम शर्मा को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। वे कहते हैं, “ये सिर्फ चेतावनी नहीं, एक ज़िम्मेदारी है। हर अलर्ट का मतलब है कि किसी की जान खतरे में हो सकती है। इसलिए हर जिले को वक्त रहते कदम उठाने को कहा गया है।”
इस बार सरकार ने केवल निर्देश देने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि ज़मीनी तैयारी भी शुरू कर दी है। अस्पतालों को खराब और चालू एसी की जानकारी देने को कहा गया है। कूलरों की उपलब्धता, पेयजल की स्थिति, काम करने वाली एंबुलेंस और जीवन रक्षक उपकरणों की कार्यशीलता पर भी रोज़ रिपोर्ट मंगवाई जा रही है।
यह पहल सिर्फ सरकारी आदेश नहीं, इंसानियत की पुकार है। क्योंकि जब तापमान 45 डिग्री को पार करता है, तब अस्पताल का ठंडा कमरा ही किसी के जीवन की डोर बन जाता है। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए यह गर्मी जानलेवा साबित हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग ने अब यह साफ कर दिया है कि इस बार लू से लड़ाई आधी-अधूरी नहीं होगी। वक्त रहते चेतावनी, पूरी तैयारी और मानवीय संवेदना के साथ राजस्थान गर्मी से लड़ेगा—और जीतेगा।