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टीकाराम जूली ने सदन में किरोड़ी लाल मीणा की अनुपस्थिति पर उठाया सवाल, कहा - वह बीमार नहीं, मजबूर....

राजस्थान में अतिवृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन विधानसभा में कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की अनुपस्थिति पर विपक्ष ने सरकार को घेर लिया। विपक्ष नेता टीकाराम जूली ने सरकार से किसानों के मुआवजे का संख्यात्मक विवरण मांगा, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। 

टीकाराम जूली ने सदन में किरोड़ी लाल मीणा की अनुपस्थिति पर उठाया सवाल, कहा - वह बीमार नहीं, मजबूर....

राजस्थान में सोमवार को विधानसभा में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अनुपस्थित थे, जिसकी अनुमति अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने दी थी। इसके लिए सदन में हां या ना तरीके से वोट करवाया गया था। लेकिन इस दौरान विपक्ष नेता टीकाराम जूली ने कहा कि ''किरोड़ी लाल मीणा कोई बीमार नहीं हैं, बल्कि वो मजबूर हैं''। किरोड़ी लाल मीणा कृषि मंत्री हैं, और आज विधानसभा में उनकी जगह सरकार ने पंचायती राज मंत्री ओटाराम देवासी ने कृषि संबधी जवाब देने के लिए नियुक्त किया था।

विपक्ष ने किरोड़ी लाल मीणा को बुलाने की मांग

विधानसभा में जब देवासी अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों के बारे में जवाब देने लगे, तो विपक्ष ने किरोड़ी लाल मीणा को बुलाने की मांग की। इसके बाद सरकार द्वारा खराब फसलों पर जवाब नहीं देने पर जूली ने कहा कि सरकार को इसका जवाब देना पड़ेगा।

टीकाराम जूली ने किए सवाल

विपक्ष नेता टीकाराम जूली ने इस मामले पर अपने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि, “राजस्थान के किसान संकट में, लेकिन भाजपा सरकार की आंखें बंद हैं! राजस्थान में अतिवृष्टि से 50% से अधिक फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, लेकिन भाजपा सरकार इसे 33% से अधिक बताकर किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है। जब हमने सरकार से पूछा कि अब तक कितने किसानों को मुआवजा दिया गया है?, तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं!”

इसके बाद उन्होंने एक्स पर कहा कि, “सरकार से सीधे सवाल है, किसानों के नुकसान को कम करके क्यों बताया जा रहा है। कितने किसानों को खराब फसल का मुआवजा मिला और सरकार संख्यात्मक विवरण क्यों नहीं दे रही है। किसानों को उचित मुआवजा कब तक मिलेगा?”

राजस्थान सरकार के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के सदन में अनुपस्थित होने पर विपक्ष जमकर सवाल कर रहा है। इसी क्रम में टीकाराम जूली ने कहा कि शिक्षा मंत्री बीमार नहीं है बल्कि वह अपनी ही सरकार से मजबूर हो गए हैं इस वजह से ही सदन में अनुपस्थित हैं।