तीन मिनट की ढिलाई, छह वर्दीधारियों की कुर्बानी: जब कुछ मिनटों की नरमी भारी पड़ गई...
Rules Breach Constable Suspended: दो अभ्यर्थियों को समय सीमा के बाद परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिलाने पर कोतवाली थाने के ASI समेत 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। परीक्षा केंद्र एसएस मोदी विद्या विहार में यह घटना तब उजागर हुई, जब एक उम्मीदवार गलत सीट पर बैठ गया और जांच में CCTV फुटेज से सामने आया कि वह 11:03 बजे केंद्र में दाखिल हुआ था, जबकि अंतिम समय 11 बजे तय था। फोन पर मिली ‘अनुमति’ के बाद हुए इस प्रवेश को गंभीर लापरवाही मानते हुए SP शरद चौधरी ने कार्रवाई की।

राजस्थान में परीक्षाओं की शुचिता को लेकर सख्ती के तमाम दावों के बीच झुंझुनू से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन को कठोर निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया। यहां की EO-RO भर्ती परीक्षा में तीन मिनट लेट पहुंचे दो अभ्यर्थियों को प्रवेश देना छह पुलिसकर्मियों को भारी पड़ गया। जिला कलेक्टर की संस्तुति पर SP शरद चौधरी ने कोतवाली थाने के एएसआई समेत छह पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
जिस परीक्षा में समय की पाबंदी ही सबसे बड़ा अनुशासन माना जाता है, वहां जब सुबह 11 बजे के बाद गेट बंद हो चुके थे, दो उम्मीदवार 11 बजकर 3 मिनट पर पहुंचे। उनमें से एक, हिमांशु शर्मा, ने गेट पर खड़े पुलिसकर्मी से फोन पर किसी अधिकारी से बात करवाई। आदेश मिलते ही गेट खोल दिया गया, और दोनों को परीक्षा कक्ष में भेज दिया गया।
सीसीटीवी में कैद हुई परीक्षा की सीमा लांघती छूट
शुरुआत में यह सब एक छोटे 'फेवर' की तरह लग सकता था, लेकिन परीक्षा केंद्र पर तैनात स्टाफ की चौकसी ने इस कोताही को सामने ला दिया। हिमांशु की जल्दबाजी और गलती से गलत सीट पर बैठने के कारण शक पैदा हुआ, और जब CCTV फुटेज चेक की गई, तो पूरे घटनाक्रम का खुलासा हो गया। ये सिर्फ तीन मिनट नहीं थे, बल्कि नियमों की दीवार पर मारी गई एक दरार थी।
प्रशासन ने दिखाई तत्परता, वर्दीधारियों पर कार्रवाई
जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने इस मामले को गंभीर मानते हुए तत्काल एसपी को पत्र लिखा। देर रात कार्रवाई हुई और कोतवाली थाने के एएसआई पवन स्वामी, हेड कांस्टेबल जयपाल, कांस्टेबल मुनेश, सुबोध, कुलदीप और बलराम को निलंबित कर दिया गया। जांच अब साइबर क्राइम थाने के डीएसपी के जिम्मे है। साथ ही, ADM डॉ. अजय आर्य को इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर RPSC को सौंपने की जिम्मेदारी दी गई है।
परीक्षा नहीं, ये ईमानदारी की कसौटी थी
यह महज एक परीक्षा नहीं थी। यह उस विश्वास की परीक्षा थी, जो हजारों अभ्यर्थी प्रशासन पर करते हैं। जब एक परीक्षा में समय की पाबंदी टूटी, तो साथ ही टूटा वर्दी का अनुशासन भी। ऐसे में प्रशासन की यह सख्ती सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सख्त संदेश भी है—अनुशासन से कोई ऊपर नहीं।