अब बच्चों के फेल होने पर शिक्षक होंगे जिम्मेदार!" – शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का सख्त निर्देश
Madan Dilawar Strict on Low Marks: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अगर छात्र फाइनल परीक्षा में 50% अंक नहीं ला पाते, तो उनके शिक्षक से पूछताछ की जाएगी। बच्चों को 20 में से 20 सेशनल मार्क्स देने के बाद अगर वे 80 में से 40 अंक भी नहीं ला पाए, तो यह शिक्षण की गुणवत्ता पर सवाल है। इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं में री-चेकिंग, री-टोटलिंग की सुविधा दी जाएगी और प्रश्नपत्र विशेषज्ञों से तैयार कराए जाएंगे। साथ ही 50,000 शिक्षकों की पदोन्नति और नई भर्ती की भी घोषणा की गई है।

राजस्थान में शिक्षा की तस्वीर अब बदलने वाली है। सरकार का रुख साफ है—अब केवल बच्चों के मार्क्स नहीं, बल्कि शिक्षकों की मेहनत और ईमानदारी भी जांची जाएगी। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हाल ही में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि छात्र 50% अंक नहीं ला पाते, तो उसकी जवाबदेही सीधे उस शिक्षक की होगी जिसने उन्हें पढ़ाया है।
दिलावर ने कहा कि सत्रांक यानी सेशनल मार्क्स की व्यवस्था का दुरुपयोग अब सहन नहीं किया जाएगा। अगर किसी छात्र को 20 में से 20 नंबर दे दिए गए हैं, तो यह स्वाभाविक अपेक्षा है कि वह मुख्य परीक्षा में भी न्यूनतम 50% यानी 80 में से 40 अंक तो जरूर लाए। अगर ऐसा नहीं होता, तो न केवल छात्र से सवाल पूछा जाएगा, बल्कि शिक्षक को भी कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
यह बदलाव केवल शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करने तक सीमित नहीं है, बल्कि परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने का प्रयास भी है। मदन दिलावर ने ऐलान किया कि अब राजस्थान बोर्ड की परीक्षाओं में री-टोटलिंग के साथ री-चेकिंग की सुविधा भी दी जाएगी। यह व्यवस्था उन छात्रों के लिए बड़ी राहत होगी जो खुद को अन्याय का शिकार महसूस करते हैं।
इसके अलावा बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र अब अलग-अलग खंडों में विशेषज्ञों की देखरेख में तैयार किए जाएंगे। इससे न केवल नकल पर रोक लगेगी, बल्कि पेपर लीक जैसे मामलों पर भी सख्ती से अंकुश लगेगा।
शिक्षा मंत्री ने एक और बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि सरकार जल्द ही 50,000 शिक्षकों की पदोन्नति करने जा रही है। उन्होंने पिछली सरकार पर आरोप लगाया कि बीते पांच वर्षों में शिक्षकों की पदोन्नति को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस नई नीति के तहत शिक्षा विभाग अब सिर्फ छात्रों की सफलता नहीं देखेगा, बल्कि यह भी परखेगा कि शिक्षक ने उन्हें कितना और कैसे पढ़ाया। अगर छात्र न्यूनतम कटऑफ को भी पार नहीं कर पाते, तो शिक्षक को जवाब देना होगा। और यदि गलती साबित होती है, तो कार्रवाई भी तय मानी जाएगी।