Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

Trending Visual Stories और देखें
विज़ुअल स्टोरी

लाखों खर्च भी फिर नहीं बची चेतना की जान, बोरवेल का खतरा बरकरार, अब क्या करेगी सरकार ?

राजस्थान के कोटपूतली में बोरवेल में गिरी तीन साल की चेतना की मौत हो गई है। इस घटना ने बोरवेल से होने वाली घटनाओं को चर्चा में ला दिया है। खुले बोरबेल खतरा बनते जा रहे हैं। सरकार इससे निपटने के लिए क्या रही है? जानें यहां।  

लाखों खर्च भी फिर नहीं बची चेतना की जान, बोरवेल का खतरा बरकरार, अब क्या करेगी सरकार ?

राजस्थान के कोटपूतली में हुए बोरवेल हादसे में 10 से फंसी तीन वर्षीय चेतना जिंदगी की जंग हार गई। जब रेस्क्यू कर्मियों ने उसे बाहर निकाला वह सिथिल पड़ चुकी थी। हाथ-पैर में कोई मूमेंट नहीं था। जो मां-बाप बच्ची को बड़ा अफसर बनाने का सपना देख रहे थे, वो अब खुद को दोष दे रहे हैं। आज चेतना कल कोई और। बीते साल प्रदेशभर के कई हिस्सों में बोरवेल में गिरकर बच्चों ने जान गंवाई है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जहां बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, मैं और मंत्री बच्ची को हाथ से नहीं निकाल सकते। बोरवेल में इस तरह की घटनाएं हो रही है, इससे सीख लेने की जरूरत है। 

कब तक सीख लेगी सरकार ?

बोरवेल हादसे दिन प्रतिदन बढ़ते जा रहे हैं। दिसबंर की शुरुआत में 5 वर्षीय आर्यन की बोरवेल में गिरने से मौत हो गई थी और अब चेतना। सवाल ये नहीं नहीं कि सरकार सीख लेगी, सवाल ये है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार क्या करेगी। चेतना को बचाने के लिए 10 दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। बड़ी-बड़ी मशीनें मंगवाई गई क्या सरकार इन बोरवेल को ढकने का काम नहीं कर सकती है जिससे इस तरह की अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके?

रेस्क्यू ऑपरेशन में लाखों का खर्च

बोरवेल में फंसे बच्चे को बचाने के लिए लगभग हर दिन 50 लाख रु का खर्चा आता है। जिनमें मशीनरी, मावन संसाधन समेत कई उपकरण शामिल हैं। चेतना को बचाने के लिए सैकड़ों कर्मियों की नियुक्ति की गई थी लेकिन प्रशासन ये सजगता थोड़ा पहले दिखा ले शायद ही इन सब की जरूर पड़े। आखिर क्यों प्रदेशभर में खुले बोरबेल की घटनाओं को रोकने के लिए अभियान नहीं चलाया जा सकता? बोरबेल को लेकर केवल सरकार-प्रशासन नहीं आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है, अगर बोरवेल का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो एक ढक्कन लगवा दें। एक ढक्कन की कीमत किसी की जान से ज्यादा कीमती नहीं है। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सरकार, प्रशासन और आम लोगों को मिलकर अहम कदम उठाने ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।