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PM Modi का पाकिस्तान को बड़ा मैसेज, आतंकी हमले के बाद वापसी में नहीं किया पाक एयरस्पेस का इस्तेमाल

PM Modi Skips Pakistani Airspace: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पाकिस्तान को लेकर रुख और भी सख्त नजर आ रहा है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसकी जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है

PM Modi का पाकिस्तान को बड़ा मैसेज, आतंकी हमले के बाद वापसी में नहीं किया पाक एयरस्पेस का इस्तेमाल
PM Modi का पाकिस्तान को बड़ा मैसेज

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पाकिस्तान को लेकर रुख और भी सख्त नजर आ रहा है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसकी जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। TRF को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जाता है।

हमले के तुरंत बाद पीएम मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में रोकते हुए भारत लौटने का फैसला लिया, लेकिन इस वापसी में उन्होंने जो फैसला लिया, उसे सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि पाकिस्तान को दिया गया ‘कड़ा संदेश’ माना जा रहा है। प्रधानमंत्री के विशेष विमान ने इस बार पाकिस्तानी एयरस्पेस को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए ओमान और अरब सागर के रास्ते भारत में प्रवेश किया।

क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?
जब पीएम मोदी सऊदी यात्रा के लिए जेद्दा गए थे, तब उनका विमान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर गया था, जो कि समय और ईंधन दोनों की दृष्टि से सामान्य और सुविधाजनक रूट है। लेकिन लौटते वक्त रास्ता बदलना सीधे तौर पर भारत का पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख दर्शाता है। एक्स (Twitter) पर विश्लेषक डेमियन साइमन ने लिखा, "यह एक रणनीतिक फैसला है जो दर्शाता है कि भारत आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को जिम्मेदार मानता है।"

दिल्ली लौटते ही हुई आपात बैठक
प्रधानमंत्री दिल्ली लौटते ही एक उच्चस्तरीय बैठक में शामिल हुए, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश सचिव विक्रम मिस्री मौजूद थे। बैठक में हमले के बाद की रणनीति, आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की भूमिका उजागर करने पर चर्चा हुई।

एक और पुलवामा जैसी चेतावनी?
2019 के पुलवामा हमले की तरह, इस बार भी हमला बड़े पैमाने पर हुआ है। ऐसे में भारत का रुख केवल कड़ा बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा, इसकी उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में भारत कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बड़ा कदम उठा सकता है।