अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन पर पीएम मोदी का शोक पत्र, लिखा– 'राजपरिवार की विरासत के सच्चे संरक्षक थे'
PM Modi Letter: पीएम नरेंद्र मोदी ने मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके पुत्र लक्ष्यराज सिंह को एक भावनात्मक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा, अरविंद सिंह के समाजसेवा में योगदान, कला-संस्कृति में रूचि और परिवार के प्रति उनकी भूमिका को याद किया। पीएम ने लिखा कि उनके जैसे व्यक्तित्व का जाना पूरे समाज के लिए क्षति है और उनकी स्मृतियां सदैव जीवित रहेंगी। यह पत्र 18 मार्च को लिखा गया था, जिसकी जानकारी 22 मार्च को सामने आई।

राजस्थान के पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए एक भावनात्मक पत्र लिखा है। यह पत्र उन्होंने 18 मार्च को स्वर्गीय मेवाड़ के पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के नाम लिखा था, जिसकी जानकारी 22 मार्च को सार्वजनिक की गई।
'राजपरिवार की गौरवशाली परंपरा के संवाहक थे अरविंद सिंह'
प्रधानमंत्री ने पत्र में लिखा, “मेवाड़ का इतिहास राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान की प्रेरक गाथाओं से भरा हुआ है। उस इतिहास की महक को आगे बढ़ाने में अरविंद सिंह मेवाड़ का योगदान अविस्मरणीय रहेगा।” उन्होंने उल्लेख किया कि स्व. मेवाड़ न केवल एक राजपरिवार के सदस्य थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने संगीत, कला, साहित्य और खेल में अपनी गहरी रुचि से समाज को दिशा दी।
'सेवा और संस्कारों के प्रतीक'
मोदी ने उन्हें “जनकल्याण को समर्पित जीवन जीने वाला, बहुमुखी प्रतिभा का धनी और संवेदनशील हृदय वाला व्यक्ति” बताया। उन्होंने कहा कि मेवाड़ हमेशा जरूरतमंदों के लिए तत्पर रहते थे और उनकी मौजूदगी समाज के हर वर्ग के लिए एक संबल थी।
'पिता को खोने की पीड़ा शब्दों से परे होती है'
पत्र में प्रधानमंत्री ने लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा, “अपने पिता को खोने की वेदना कैसी होती है, यह मैं समझ सकता हूं। वह केवल आपके लिए नहीं, पूरे परिवार के लिए आधार स्तंभ थे। अब वे भले ही शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हैं, पर उनकी शिक्षाएं और मूल्य सदैव आपका मार्गदर्शन करते रहेंगे।”
पीएम मोदी की संवेदनशीलता का उदाहरण
यह पत्र न सिर्फ एक संवेदनशील प्रधानमंत्री की भावनाओं को दर्शाता है, बल्कि उस सांस्कृतिक उत्तराधिकार को भी रेखांकित करता है, जो मेवाड़ राजघराने ने सदियों से निभाया है। यह संदेश देता है कि राजशक्ति केवल सत्ता नहीं, सेवा और संस्कृति की शक्ति भी होती है।